Dharm Sab Ek Hae

सर्व-धर्म -समन्वय
ईश्वर एक है,परन्तु उनके नाम और भाव अनंत है|जो जिस नाम और भाव से उनकी आराधना करता है, उसे वे उसी नाम और उसी भाव से दर्शन देते है| कोई किसी भी भाव, किसी भी नाम या किसी भी रूप से उस ईश्वर की उपासना या साधना भजन करता है उसे निश्चय ही ईश्वर का साथ होता है|जिस प्रकार छत पर जाने के लिए सीढी का प्रयोग होता है ठीक उसी प्रकार ईश्वर को समझने के लिए धर्म का प्रयोग होता है\



जो लोग संकीर्ण विचारधारा के होते है वे ही दुसरे धर्म की निंदा करते हैं,एवम अपने धर्म को श्रेष्ठ बताकर सम्प्रदाय गढ़ते हैं| किन्तु जो ईश्वर से अनुराग रखते है वो सब धर्म में ही अपने ईश्वर को ढूंढ़ लेते हैं|उनके अंदर ईश्वर के लिए दलबंदी की भावना नहीं रहती|वो बहते पानी की तरह होते है,जो कहीं पर भी मिल जाते है वही ईश्वर के सच्चे अनुयायी होते हैं|जिस प्रकार जल एक पदार्थ है, किन्तु देश, काल, और पात्र के भेद से उसके नाम भिन्न भिन्न हो जाते हैं, हिंदी में उसे 'जल'कहते है,उर्दू में 'पानी'और अंग्रेजी में 'वाटर' कहते हैं|एक दूसरे की भाषा न जानने के कारण हि कोई किसी की बात नहीं समझ पता,किन्तु ज्ञान हो जाने पर किसी तरह का भे नहीं रह जाता|


भगवान एक है, पर साधक और भक्तगण भिन्न भिन्न भाव और रूचि के अनुसार उनकी उपासना किया करते है|एक ही दूध से कोई रबड़ी,तो कोई बर्फी बनाता है, कोई दही बनाता है,तो कोई घी निकालकर खाते है कहने का तात्पर्य यह है की हमें जैसी रूचि होती है ईश्वर वैसे ही प्राप्त होते है|
 
sahi gal hai g.......rab ta ik hai te nale rab ik vishwash hai....kade kise ne nahi vekhiya.........but ethe kuj thekedari karn wale lok duje dharma nu nicha vikha j aapni foki sohrat nu age rakhna chahude haan
 

userid50966

Well-known member
or ek hi dudh se lassi or osse dudh ka makhan banta hai , fir makhan or lassi me ap kya fark mehsoos karte hain, yeahi to samjha rahe hain ke bhagwan ek hi dudh hai ,lekin osse hasil karnea ke liyea hummea bhari source ki jaroorat hoti hai jasie cow se dudh nikalna padhta hai or jis bartan me nikala jayea woh agar saf nahi to dudh bhi kala ho jata hai , essi parkar bhagwan ko pannea keliya raste to bahut hain lekin agar sahi rasta na chuna jayea to pakaer bhi vo doorh hi rehta hai , lekin jab yeah batt kissee ko samjhao to vo kehta hai ke dudh to mera khrabh ho raha hai tujhe kya ya fir dusron ko dharam ka thekedarh bta detta hai
 
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