देवता मैं बन न पाया

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
देवता मैं बन न पाया
मोड़ कर मैं राह अपनी
छोड़ कर हर चाह अपनी
अब अकेला चल रहा हूँ कारवाँ मैं बन न पाया।
जो मिला सीढ़ी समझकर
हो गया उस पार चढ़कर
बस बचाने में सभी को मर मिटा मैं बन न पाया।
मैं बुरा हूँ मानता हूँ मैं
यह हक़ीक़त जानता हूँ मैं
क्या करूँ मैं मित्र मेरे! देवता मैं बन न पाया।
 
Top