चंडीगढ़-मेट्रो से होंगी हसरतें पूरी

चंडीगढ़. शहर की बढ़ती आबादी और पेराफेरी में तेजी से होते फैलाव के बाद अब ट्राईसिटी में भी बेहतरीन ट्रांसपोर्टेशन की जरूरत है। ऐसा ट्रांसपोर्टेशन जिसमें इन दिनों की तरह लोकल बसों के इंतजार में काफी समय बर्बाद न हो। इसके साथ ही ट्रैफिक, पार्किग और प्रदूषण जैसी समस्याओं से भी निजात मिले।


ट्राईसिटी में अगले कुछ सालों के दौरान इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बुलेट ट्रेन और अंडरपास बनकर तैयार हो जाएंगे जिससे कहीं भी आना-जाना काफी आसान हो जाएगा। लोग दिल्ली जाकर दो घंटे में अपना काम करके सात-आठ घंटे में वापस चंडीगढ़ लौट सकेंगे। अगर प्रशासन की प्रस्तावित योजना सही समय पर सिरे चढ़ी तो वर्ष 2015 तक शहर की अपनी मेट्रो होगी।


कम होगी रेलमपेल


मेट्रो ट्रेन से पेट्रोल और डीजल की खपत तो कम होगी ही, साथ ही प्रदूषण का स्तर भी घटेगा। दिल्ली में भी मेट्रो चलने के बाद सड़कों पर भीड़भाड़ और प्रदूषण कम हुआ है। मेट्रो के चलने से लोगों का काफी समय भी बचेगा। सेक्टर 33 के केएल वर्मा के मुताबिक शहर में कार चलाना मुश्किल होता जा रहा है। रेड लाइट या किसी जाम में फंसने पर काफी समय बर्बाद हो जाता है। मेट्रो शुरू होने से राहत जरूर मिलेगी।


‘राइट्स’ ने तैयार किया है खाका


मेट्रो के लिए सरकारी एजेंसी ‘राइट्स’ ने खाका तैयार किया है। राइट्स ने अपनी रिपोर्ट में चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली के लिए सात मेट्रो कॉरीडोर का प्रस्ताव तैयार किया है। इन्हें तीन चरणों में बनाने की बात कही गई है। मेट्रो कुल 52.4 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इनमें से 40.4 किलोमीटर की दूरी चंडीगढ़ में होगी। मेट्रो के शहर में करीब 50 स्टेशंस होंगे। अंडरग्राउंड रूट पर 320 करोड़ रुपए और सरफेस रूट पर 140 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर खर्च आएगा। ‘राइट्स’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शहरवासी ऑफिस जाने में 10 प्रतिशत वेतन खर्च करते हैं। उनका हर माह ऐवरेज 2474 रुपए परिवहन पर खर्च होते हैं। मेट्रो जहां 10 मिनट में पहुंचा देगी, वहां अभी जाने में लगता है आधा घंटा। राइट्स कंपनी के सर्वे में शहर के 77 प्रतिशत लोगों ने एक सही पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का पक्ष लिया था।


मोहाली में 12 किमी दौड़ेगी मेट्रो


राइट्स की स्टडी के आधार पर मेट्रो चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली में कुल 52.4 किलोमीटर एरिया में दौड़ेगी। इसमें चंडीगढ़ में 40.4 और मोहाली में 12 किलोमीटर एरिया में मेट्रो चलेगी। मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को पूरा करने में 48 महीने लगेंगे।


डीपीआर के लिए मांगे दो करोड़


चंडीगढ़ प्रशासन ने मेट्रो प्रोजेक्ट को फाइलों से बाहर निकालने के लिए इसकी डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का फैसला किया है। डीपीआर के लिए प्रशासन ने केंद्र सरकार से दो करोड़ रुपए का बजट मांगा है। डीपीआर तैयार करने का जिम्मा दिल्ली मेट्रो कॉरपोरेशन को सौंपा है। वित्त सचिव संजय कुमार के मुताबिक डीपीआर की क्लीयरेंस के बाद वित्तीय विकल्पों पर विचार करना शेष रह जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरुआत इसी साल संभव है और तीन-चार साल के अंदर मेट्रो ट्रेन शुरू हो सकती है।


खर्च पहुंचा 15 हजार करोड़


स्काई बस से मेट्रो तक की योजना बनाने में ही प्रशासन को वर्षो लग गए हैं। करीब 12 साल पहले ट्राईसिटी के लिए स्काई बस प्लान की गई थी। अगर यह योजना सिरे चढ़ जाती तो केवल 500 से 600 करोड़ रुपए खर्च होते। वर्ष 2005 में मोनो रेल प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाता तो 2500 करोड़ रुपए खर्च होते। अब स्काई बस से शुरू हुई यह योजना मेट्रो तक पहुंच गई है और इसका खर्च बढ़कर 15 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। ट्राईसिटी में मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (एमआरटीएस) को फाइनल करने में ही कई साल लग गए और अब दावा किया जा रहा है कि चार साल में ट्राईसिटी मंे मेट्रो ट्रेन दौड़ने लगेगी।
 
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