बहुत कम मिलते हैं ...

आज दिलों में इन्सानों के
भगवान बहुत कम मिलते हैं

लाशों का ढेर हर तरफ
शमशान बहुत कम मिलते हैं

कहते हैं जिसे इन्सानों की बस्ती
वहां इन्सान बहुत कम मिलते हैं

सजी रहती हैं दुकाने मिष्ठानों की
खाने को पकवान बहुत कम मिलते हैं

दिलवाले तो भरे पड़े हैं दुनिया में
मेहरबान बहुत कंम मिलते हैं

इम्मारतें ऊंचीं होती जा रहीं हैं
मकान बहुत कंम मिलते हैं

धर्म तोडना अब सिखा रहा है सबको
जोड़ने वाले तो फरमान बहुत कम मिलते हैं

हुनर भटक के जान दे देता है
बाजारों में कदरदान बहुत कम मिलते हैं

शम्मा तो आज भी जलने को तयार है
अँधेरी दुनिया में शम्मादान बहुत कम मिलते हैं

आज दिलों में इन्सानों के
भगवान बहुत कम मिलते हैं ........

"बागी "
 
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