किसी की तल्ख़ी, किसी की शिकायत
किसी का रह्मों-करम, और किसी की इनायत
किसी से बेरुख़ी, और बेसुध किसी की धुन में ...
ख़ुद के लिए कभी एक पल नहीं जिया “jb”
किस के लिए जिएँ कैसे, बस गुज़र गई ज़िन्दगी सारी इसी उधेड़ बुन में ....।।
किसी का रह्मों-करम, और किसी की इनायत
किसी से बेरुख़ी, और बेसुध किसी की धुन में ...
ख़ुद के लिए कभी एक पल नहीं जिया “jb”
किस के लिए जिएँ कैसे, बस गुज़र गई ज़िन्दगी सारी इसी उधेड़ बुन में ....।।