भ्रष्टाचारियों को मौत की सजा दिलाएंगे

टीवी के माध्यम से घर-घर में योग पहुंचाने वाले स्वामी रामदेव अब अपनी नई राजनीतिक पारी को लेकर चर्चा में हैं। विदेशी भाषा और विदेशी
कंपनियों की सख्त मुखालफत करने वाले बाबा अपनी पार्टी, विचारधारा और लक्ष्यों समेत तमाम पहलुओं पर खुलकर बोले। पेश है स्वामी रामदेव के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश:-

हाल की नेपाल यात्रा में आपकी प्रचंड से मुलाकात हुई। सुना है, आपसे बेहद प्रभावित हुए। क्या बातचीत हुई?
प्रचंड से मेरी तकरीबन डेढ़ घंटे बात हुई। मैंने उनसे कहा कि क्रांति सबके साथ मिलकर होनी चाहिए और उसका मकसद शांति होना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि माओवाद तब तक अधूरा है, जब तक उसमें अध्यात्म नहीं है। माओवाद और अध्यात्म को जोड़ा जाना चाहिए, तभी बेहतर परिणाम आ सकते हैं। प्रचंड ने इस बात को खुले दिल से स्वीकारा है।

पिछले दिनों लालू यादव ने कहा कि आपको राजनीति में नहीं आना चाहिए। आपके लिए 'सनकी' जैसे शब्द का भी इस्तेमाल किया। उन्होंने यहां तक कहा कि जब आप दवाओं में हड्डी मिलाने के मामले में फंसे थे तो उन्होंने ही आपको बचाया था।

लालू यादव ने मेरे बारे में क्या कहा, न तो मैंने सुना और न ही उनके कथन को मैं कोई तवज्जो देना चाहता हूं। यह सही है कि मेरे ऊपर आरोप लगे थे। उस दौरान बहुत से लोग मेरे साथ थे। मैं उनका कृतज्ञ हूं, लेकिन सच यह है कि मुझे मेरी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी ने बचाया। ये चीजें जब तक मेरे साथ हैं, मुझे कोई नुकसान नहीं हो सकता और जिस दिन ये चीजें चली गईं, मुझे कोई नहीं बचा पाएगा। जहां तक मेरे राजनीति में आने पर लालू जी के विरोध की बात है तो वह मेरे पॉलिटिकल अडवाइजर तो हैं नहीं। भ्रष्ट और बेईमान लोगों को छोड़कर मेरे इस अभियान से सभी खुश हैं।

बीजेपी का कहना है कि आपको उनकी पार्टी में आ जाना चाहिए। उन्हें लगता है कि आप उनके ही वोट काटेंगे। ऐसा लगता है पॉलिटिकल पार्टियां घबरा गई हैं।

देखिए, मैं किसी पार्टी के खिलाफ नहीं हूं, किसी व्यक्ति के खिलाफ भी नहीं हूं। मैं बस इतना चाहता हूं कि राजनीति में पूर्ण जिम्मेदार, ईमानदार और पराक्रमी लोग आएं। सभी पार्टियों के नेता ईमानदार और जिम्मेदार हो जाएं, राजनीति का शुद्धिकरण हो जाए, हमारा लक्ष्य पूरा। वे ऐसा कर लें, फिर हमें जरूरत ही नहीं है राजनीति में आने की।

आपकी पार्टी की विचारधारा क्या होगी और आपके तीन बड़े लक्ष्य क्या होंगे?
हमारी पार्टी आध्यात्मिक और सर्वांगीण विकासवाद के आधार पर काम करेगी। देश निर्माण के लिए दो चीजें बेहद जरूरी हैं। ये हैं - राष्ट्रीय चरित्र और राष्ट्रीय नेतृत्व। हम न दक्षिणपंथी हैं, न उत्तरपंथी और न कांग्रेस की तरह पश्चिमपंथी। जहां तक लक्ष्यों की बात है तो हमारा पहला लक्ष्य होगा, विदेशी बैंकों में जमा 300 लाख करोड़ का काला धन वापस लाना और उसे देश के विकास में लगाना। दूसरा लक्ष्य होगा भ्रष्टाचारियों, बेईमानों, मिलावटखोरों और आतंकवादियों के खिलाफ मृत्युदंड का कानून बनाना। तीसरे कदम के तौर पर हम अंग्रेजों की कुटिल नीतियों को परिवर्तित करना चाहते हैं।

लेकिन मृत्युदंड का तो दुनिया के तमाम देश विरोध करते हैं।
चीन समेत दुनिया के कई देशों में आज भी मृत्युदंड का प्रावधान है। हमारे पूर्वज भी पापियों को तारने के लिए ऐसा किया करते थे। हम भी यही चाहते हैं कि भ्रष्टाचारियों को मृत्युदंड मिले। हम उन्हें मोक्ष भेजना चाहते हैं, ताकि उनका उद्धार हो सके।

आपने नक्सल समस्या का जिक्र नहीं किया। पिछले दिनों नक्सलियों ने इतनी बड़ी तादाद में लोगों की जानें लीं।
इस समस्या का तात्कालिक समाधान यह है कि नक्सलियों को निहत्था कर दिया जाए। बातचीत के आधार पर या तो स्वेच्छा से वे अपने हथियार सौंपें या फिर सख्ती से उन्हें निहत्था कर दिया जाए। समस्या का स्थायी समाधान विकास से होगा और विकास तब होगा, जब भ्रष्टाचार खत्म होगा। कितना भी नरेगा चला लीजिए, बिना भ्रष्टाचार खत्म किए नरेगा से देश बचेगा नहीं, मरेगा। भ्रष्टाचार जब तक है, सर्व शिक्षा अभियान भी, सर्व भिक्षा अभियान की तरह ही काम करेगा।

आपकी स्वीकार्यता सभी पार्टी, धर्में और संप्रदायों में है। ऐसे में राजनीति में आना कहां तक उचित है?
इसीलिए तो मैं राजनीति में आया हूं। सभी जगहों से अच्छे और ईमानदार लोग मेरे साथ आ रहे हैं। वैसे यह भी बता दूं कि योग के माध्यम से चरित्र निर्माण का जो काम अब तक करता रहा हूं, वह यूं ही जारी रहेगा। राजनीति तो अडिशनल जॉब है।

पिछले एक अर्से में संतई के नाम पर कई पाखंडियों की पोल चुकी है। आम आदमी को अब हर बाबा और संन्यासी पर शक होता है। ऐसे में सच्चे संत या गुरु की पहचान कैसे की जाए?

संत की पहचान 99 फीसदी उसके चरित्र से और 1 फीसदी उसके वस्त्रों से होती है। किसी को गुरु बनाने से पहले दिलोदिमाग खुला रखें, उसे तर्क की कसौटी पर कसें। तर्क से किसी निर्णय तक पहुंचना चाहिए। देखना चाहिए कि उसकी सोच कितनी साइंटिफिक है। यंत्र, तंत्र, मंत्र का दावा करने वाले पाखंडी होते हैं। धर्म में अक्ल की दखल जरूर होनी चाहिए।

आप विदेशी कंपनियों और विदेशी भाषा के बॉयकॉट की बात करते हैं। इससे तो देश बहुत पीछे चला जाएगा।
हम यह चाहते हैं कि ग्लोबलाइजेशन का यूज हम अपनी ताकत को बढ़ाने में करें। अभी हमारे देश को दुनिया भर में एक बाजार के तौर पर देखा जाता है। हम चाहते हैं कि दुनिया हमारा यूज न करें, हम दुनिया का यूज करें। जहां तक पूंजी की कमी की बात है तो अपने देश का मोटा पैसा जो विदेशी बैंकों में जमा है, हम उसे वापस लाएंगे। हमारे पास इतना बड़ा और काबिल ह्यूमन रिसोर्स है। जहां तक विदेशी तकनीक की बात है, तो उसकी जरूरत सिर्फ 1 फीसदी है। जब भी इसकी जरूरत हमें पड़ेगी, उसे हम जरूर लेंगे। मेरी नजर में ग्लोबलाइजेशन एक भ्रम है। इसके अलावा हम चाहते हैं कि हमारी पूरी शिक्षा व्यवस्था हमारी अपनी भाषा में हो। जापान, जर्मनी और स्पेन जैसे तमाम देशों की शिक्षा व्यवस्था उनकी अपनी भाषा में चलती है, तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते!

धारा 370 और राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आपकी क्या सोच है?
हमारा लक्ष्य राष्ट्र निर्माण है। अगर हमने यह लक्ष्य पा लिया तो मुस्लिम भाई खुद ही कह देंगे कि विवादित जगह पर राम मंदिर का निर्माण कर लिया जाए। मुसलमान भी राम को अपना पूर्वज मानते हैं। दरअसल, इन मुद्दों पर नेताओं ने लोगों को भ्रमित कर रखा है। हमारा मानना है कि अगर हमने मूल चीजें हासिल कर लीं, तो बाकी मुद्दे खुद-ब-खुद सुलझ जाएंगे। मुख्य मुद्दों से हटकर हम निराधार मुद्दों में नहीं फंसना चाहते।

आपके साथ सभी ईमानदार लोग आएं, यह कैसे सुनिश्चित करेंगे?
ईमानदार को ईमानदार लोग मिल ही जाते हैं। देवालय जाने वाला खुद ही देवालय का रास्ता ढूंढ ही लेता है और जिसे शराब के ठेके पर जाना है, वह वहां पहुंच ही जाएगा। अभी दस लाख लोग जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। करोड़ों प्रशंसक इस मिशन में जुट चुके हैं। इतना तय है कि कैरेक्टर वेरिफिकेशन के बाद ही हम लोगों को अपने साथ लेंगे।

संसद में महिला आरक्षण का मुद्दा पिछले दिनों काफी गर्म रहा। आपकी पार्टी की इस मुद्दे पर क्या सोच है? टिकट देंगे महिलाओं को?
बिल्कुल देंगे। महिलाएं तो मातृ-शक्ति हैं। आप 33 फीसदी की बात करते हैं, हमारे यहां तो 50 फीसदी महिलाएं सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।

आप गे-सेक्स को अननेचरल बताते हैं। ब्रह्मचर्य भी तो अननेचरल ही है।
दुनिया में जितने भी प्राणी हैं, सभी संतान पैदा करने के लिए सेक्स करते हैं। असली गड़बड़ तब होती है जब लोग एंजॉयमेंट के लिए सेक्स करते हैं। आमतौर पर हमारे यहां बच्चे 25 साल तक सेक्स नहीं करते, क्या वह अननेचरल है? जहां तक ब्रह्मचर्य का सवाल है तो वह स्वाभाविक है। सीधी-सी बात है, जो चीज 24 घंटे रहती है और जिसे किसी बाहरी सहयोग की जरूरत नहीं है, वह स्वाभाविक है और विकार वह है, जो क्षणिक है। इसके लिए आपको बाहरी सहयोग की जरूरत पड़ती है। जैसे प्रेम स्वाभाविक है और घृणा अस्वाभाविक। अब जो चीज स्वाभाविक है, वह अननेचरल कैसे हो सकती है।
 
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