Punjab News भूल सुधार : 91 साल बाद माना शहीद

अमृतसर. हर काम लेट होने के कारण लोग अक्सर कहते हैं कि भगवान सच में है, जो इस देश को चला रहा है। सरकारी लेटलतीफी का ताजा उदाहरण अमृतसर का है जहां पर जलियांवाला बाग कांड के शहीदों को 91 साल बाद अधिकृत रूप से शहीद का दर्जा मिला है।

13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन शहीद हुए लोगों को स्वतंत्रता सेनानी मानने के लिए सरकार को तीस साल लग गए। लंबी लड़ाई के बाद शहीदों के परिजनों को शुक्रवार को सर्टिफिकेट जारी कर सम्मान से नवाजा गया। इस कांड में अमृतसर समेत देश के अन्य हिस्सों के सैकड़ों लोग ब्रिटिश हुकूमत की गोलियों का शिकार हुए थे। उस दौरान जो सूची तैयार हुई उसी में मामला उलझकर रह गया। 2000 के बाद मामले ने तूल पकड़ा और केंद्र सरकार ने 19 दिसंबर 2008 को शहीदों को स्वतंत्रता सेनानी माना।

भूल सूधार..

सर्टिफिकेट पाने वालों में भूषण बहल, महेश बहल, भजन लाल खुराना, नंद लाल, टेक चंद, सुनील कपूर, सतपाल शर्मा, रमा रानी, सोहन लाल भारती और कंचन कंपानियां के नाम शामिल हैं। शहीद परिवार समिति के प्रधान भूषण बहल ने बताया कि इस काम में डीसी काहन सिंह पन्नू की अहम भूमिका रही। उनका कहना है कि उनकी दो अन्य मांगें अभी लंबित हैं। इसमें जलियांवाला बाग में शहीदों के नामों की लिस्ट लगाना और जलियांवाला बाग प्रबंधक कमेटी में उनके नुमाइंदे को शामिल करना है।
 
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