बिहार में ठहर गया मानसून

लखनऊ [जाब्यू]। उत्तर प्रदेश में दस्तक से पहले मानसून बिहार में ठहर गया है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पुरवाई और पछुआ दोनों ही हवा चलने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है इसलिए हमें दो-तीन दिन और इंतजार करना होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार अगर पुरवाई की रफ्तार आठ-दस किलोमीटर प्रति घंटा या उससे अधिक होती तो वह मानसून को आगे बढ़ाने में सहायक होती है लेकिन एक तो उसकी औसत रफ्तार ही बेहद कम [तीन से चार किलोमीटर] है और दूसरे पुरवाई उसे जितना आगे बढ़ती है, पछुवा उसे उतना ही रोक दे रही है।
नतीजतन मानसूनी हवा में पूर्वी हवा जितनी नमी लाती है, पछुवा उसे खत्म कर देती है और मानसून आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर पद्माकर त्रिपाठी सेटलाइट इमेज, विंड प्रेसर चार्ट और वाष्प दाब के विश्लेषण के आधार पर बताते हैं कि अभी दो-तीन दिन हवा का दाब ऐसे ही रहने की सम्भावना है उसके बाद पुरवाई की गति तेज होगी और गर्मी से राहत देने के लिए मानसून लोगों के घरों तक पहुंच जायेगा।
देर हुई तो फसलों का नुकसान
नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के बीज विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एचपी त्रिपाठी बताते हैं कि मानसून ने अधिक विलंब किया तो उन किसानों का नुकसान शुरू हो जायेगा जो धान और गेहूं के बीच एक और फसल [खास तौर पर आलू व राई] लेते हैं। इन किसानों की प्राथमिकता धान की 90 से 100 दिन में पक जाने वाली प्रजातियों के बोने को लेकर रहता है। एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी का कहना है कि ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंगफली और हल्दी के हाईब्रिड बीजों को बोने का समय भी निकलता जा रहा है क्योंकि कृषि विभाग के पास इनका कोई भी विकल्प नहीं है।
 
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