बेटियों की मुस्कान

Saini Sa'aB

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बेटियों की मुस्कान

बेटियों की मुस्कान–
जैसे गूँज उठा
भोर में साम -गान
जैसे वन में तिरती
बाँसुरी की तान

जैसे भरी दुपहरी में
बरगद की छाया
जैसे लू के बाद
बह उठी शीतल बयार ।

मत छीनो यह मुस्कान
इसके छिन जाने पर
रूठ जाएँगी ऋचाएँ,
डूब जाएँगे सातों स्वर,
रूठ जाएगी शीतल छाया,
बयार बनेगी
अंगारों की बौछार
झुलस जाएगी सारी सृष्टि ।
 
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