बोलों तुमको गैर लिखे या अपना मीत लिखे.........

~¤Akash¤~

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दिल के उजले कागज पर हम कैसा गीत लिखे
बोलों तुमको गैर लिखे या अपना मीत लिखे

नीले अम्बर की अंगनाई ले तारों की धूल
मेरे प्यासे होटों पर हैं अंगारों के फूल
इन फूलों को आखिर अपनी हार या जीत लिखे
बोलों तुमको गैर लिखे या अपना मीत लिखे

को पुराना सपना देदो और कुछ मीठे बोल
लेकर हम निकले है अपनी आँखों के कशकोल
हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखे
बोलों तुमको गैर लिखे या अपना मीत लिखे

शाम खड़ी हैं लिए चमेली के प्यालों में शबनम
यमुना जी की ऊँगली थामे खेल रहा है मधुबन
ऐसे में गंगा जल से राधा की प्रीत लिखे
बोलों तुमको गैर लिखे या अपना मीत लिखे.........
 
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