ऐ मेरे उदास मन
चल दोनों कहीं दूर चले
मेरे हमदम तेरी मंज़िल
ये नहीं, ये नहीं, कोई और है
ऐ मेरे उदास मन...
इस बगिया का हर फूल, देता है चुभन काँटों की
सपने हो जाते हैं धूल, क्या बात करें सपनों की
मेरे साथी तेरी दुनिया
ये नहीं, ये नहीं, कोई और है
ऐ मेरे उदास मन...
जाने मुझसे हुई क्या भूल, जिसे भुला सका न कोई
पछतावे के आँसू, मेरी आँख भले ही रोये
ओ रे पगले तेरा अपना
ये नहीं, ये नहीं, कोई और है
ऐ मेरे उदास मन...
पत्थर भी कभी इक दिन, देखा है पिघल जाते हैं
बन जाते हैं शीतल नीर, झरनों में बदल जाते हैं
तेरी पीड़ा से जो पिघले
ये नहीं, ये नहीं, कोई और है
ऐ मेरे उदास मन...
चल दोनों कहीं दूर चले
मेरे हमदम तेरी मंज़िल
ये नहीं, ये नहीं, कोई और है
ऐ मेरे उदास मन...
इस बगिया का हर फूल, देता है चुभन काँटों की
सपने हो जाते हैं धूल, क्या बात करें सपनों की
मेरे साथी तेरी दुनिया
ये नहीं, ये नहीं, कोई और है
ऐ मेरे उदास मन...
जाने मुझसे हुई क्या भूल, जिसे भुला सका न कोई
पछतावे के आँसू, मेरी आँख भले ही रोये
ओ रे पगले तेरा अपना
ये नहीं, ये नहीं, कोई और है
ऐ मेरे उदास मन...
पत्थर भी कभी इक दिन, देखा है पिघल जाते हैं
बन जाते हैं शीतल नीर, झरनों में बदल जाते हैं
तेरी पीड़ा से जो पिघले
ये नहीं, ये नहीं, कोई और है
ऐ मेरे उदास मन...