ऊ...
तू ही तो है
तू ही तो है
हर पल ही तेरी बातों में गुज़रता
इतना क्यूँ मेरे साथ आई तू
तू ना जाने
तू ना जाने
हर पल में तू है मैं हूँ या है रस्ता
इतना क्यूँ मुझको दूर लाई तू
ना मैं वादा करता हूँ
ना मैं भूला करता
तू है तो सब रस्तों पे
मैं क्या ढूँढा करता
यूँ तेरा होना भी और तन्हा करता
ऊ...
तू ही तो है
तू ही तो है
जो हँसते हँसते आँखें भर सकती है
अब इतनी तो पहचान हो गयी
नहीं है तो नहीं है तू
अब छोड़ा है तो सच में छोड़ दे मुझको
क्यूँ हर पल की मेहमान हो गयी
मैं यूँ तन्हा जीता हूँ
जैसे कोई मरता
यह भी कोई होना है
जो है आँखें भरता
यूँ तेरा होना भी और तन्हा करता
और तन्हा करता...
और तन्हा करता...
तू ही तो है
तू ही तो है
हर पल ही तेरी बातों में गुज़रता
इतना क्यूँ मेरे साथ आई तू
तू ना जाने
तू ना जाने
हर पल में तू है मैं हूँ या है रस्ता
इतना क्यूँ मुझको दूर लाई तू
ना मैं वादा करता हूँ
ना मैं भूला करता
तू है तो सब रस्तों पे
मैं क्या ढूँढा करता
यूँ तेरा होना भी और तन्हा करता
ऊ...
तू ही तो है
तू ही तो है
जो हँसते हँसते आँखें भर सकती है
अब इतनी तो पहचान हो गयी
नहीं है तो नहीं है तू
अब छोड़ा है तो सच में छोड़ दे मुझको
क्यूँ हर पल की मेहमान हो गयी
मैं यूँ तन्हा जीता हूँ
जैसे कोई मरता
यह भी कोई होना है
जो है आँखें भरता
यूँ तेरा होना भी और तन्हा करता
और तन्हा करता...
और तन्हा करता...