~¤Akash¤~
Prime VIP
रफ्तार-ए-नूर लेके मैं कायनातों से गुजरता
शौंक-ए-उडान दे के,जो मेरे पर ना वो कतरता
एक पल जो कोई मुझको पलकों पे थाम लेता
ना मैं बन के ज़र्रा ज़र्रा यूँ फजाओं मे बिखरता
हैं "अयान" मुद्दतों से पलकों पे तिशनगी सी
ये खून-ए-जिगर कभी तो मेरी आँखों से टपकता
बे नूर चरागों की साजिश थी, बुझ गया हूँ
बन के हकीर जुगनू मैं भी रातों मे चमकता
ख्वाबों में रहा है अक्सर "अयान" उसका आना जाना
आँखों के रास्ते से कभी दिल मे मेरे उतरता.............
शौंक-ए-उडान दे के,जो मेरे पर ना वो कतरता
एक पल जो कोई मुझको पलकों पे थाम लेता
ना मैं बन के ज़र्रा ज़र्रा यूँ फजाओं मे बिखरता
हैं "अयान" मुद्दतों से पलकों पे तिशनगी सी
ये खून-ए-जिगर कभी तो मेरी आँखों से टपकता
बे नूर चरागों की साजिश थी, बुझ गया हूँ
बन के हकीर जुगनू मैं भी रातों मे चमकता
ख्वाबों में रहा है अक्सर "अयान" उसका आना जाना
आँखों के रास्ते से कभी दिल मे मेरे उतरता.............