Saini Sa'aB
K00l$@!n!
अब न बहती है हवा
सोंधी हमारे गाँव में।
पाँव जब से
आधुनिकता ने पसारे यार हैं
ज़िंदगी जीना यहाँ
अब हो गया दुश्वार है
अब कभी लगता नहीं
चौपाल बरगद छाँव में।
पैर की देखो बिवाई
और गहरी हो गई
जो बची संवेदना थी
वो पराई हो गई
सर्द मौसम में पड़े
छाले हमारे पाँव में।
अब बदल सारे गए हैं
ज़िंदगी के व्याकरण
हो गया आदर्श जब हो
कंस का ही आचरण
फँस गए हैं गाँव सारे
आपसी बिखराव में।
सोंधी हमारे गाँव में।
पाँव जब से
आधुनिकता ने पसारे यार हैं
ज़िंदगी जीना यहाँ
अब हो गया दुश्वार है
अब कभी लगता नहीं
चौपाल बरगद छाँव में।
पैर की देखो बिवाई
और गहरी हो गई
जो बची संवेदना थी
वो पराई हो गई
सर्द मौसम में पड़े
छाले हमारे पाँव में।
अब बदल सारे गए हैं
ज़िंदगी के व्याकरण
हो गया आदर्श जब हो
कंस का ही आचरण
फँस गए हैं गाँव सारे
आपसी बिखराव में।