खालिस्तान विद्रोहियों को भी माफी पर विचा&#2352

भारत सरकार मुख्यधारा से भटके जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए बनाई गई क्षमादान की नीति को पंजाब के मामले में भी लागू कर सकती
है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि जो सिख विदेश चले गए थे और अब खालिस्तान की मांग छोड़ने के बाद स्वदेश लौटना चाहते हैं, उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा।

इससे पहले चिदंबरम ने बुधवार को जम्मू में कहा था कि क्षमादान नीति जम्मू-कश्मीर के उन युवाओं के लिए ही है, जो राष्ट्रविरोधी हाथों में पड़कर पीओके चले गए हैं। उन्होंने पाकिस्तान गए पंजाब के ऐसे ही युवकों पर इस नीति को लागू करने से साफ इनकार कर दिया था। गृहमंत्री के इस बयान पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए मांग की थी कि सिखों को भी इसके दायरे में लाया जाए। उन्होंने कहा था कि ऐसे मुद्दों पर एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए, न कि पिक एंड चूज आधार पर लागू किया जाना चाहिए।

शुक्रवार को रुख में नरमी लाते हुए गृहमंत्री ने कहा कि मुझे मालूम है कि दूसरे तबकों से भी मांगें उठ रही हैं, मैं इस पर विचार करूंगा। उन्होंने कहा कि खालिस्तान की मांग छोड़ने के बाद अगर सिख युवक लौटना चाहते हैं तो हमें उनके पुनर्वास का तरीखा खोजना होगा।

चिदंबरम ने अपने फैसले का बचान करते हुए कहा कि 'क्षमानीति' नई बात नहीं है। इसे सालों से लागू किया जाता रहा है। उन्होंने कहा, '1997-98 में सीआरपीएफ ने सरेंडर कर चुके आतंकियों से एक बटालियन गठित की थी। बीएसएफ ने भी सरेंडर कर चुके 450 आतंकियों को नियुक्त किया था और उत्तर-पूर्व में तो अभी भी ऐसा हो रहा है।' उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से प्रभावित राज्यों में सरेंडर करने वाले विद्रोहियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
 
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