हर चेहरे पे बेचारगी रोष कैसा

हर चेहरे पे बेचारगी रोष कैसा
यार को यार की तरक्की का अफसोस कैसा
सुन्हीरी धूप में होते है जहाँ हादसे लाखों
चाँद की चाँदनी का शिकार हो गये तो अफसोस कैसा

सुना था हाथ में रखता था वो ख़ंज़र
सह ना सका नज़र का इक वार फ़िर अफसोस कैसा
उसके दिल में थी इक आग तेरी झलक पाने की
तूने सुनी नहीँ फरियाद फ़िर अफसोस कैसा
कोई चाँद नही यहाँ पर बस दिल्लगी है अगर समझ ना पायो जज्बात फ़िर अफसोस कैसा
कभी तोड़ा था उसने मासूम सा इक दिल
आज टूट गया उसका गरूर फ़िर अफसोस कैसा
मेरी खुशनसीबी है किनारे लग गया मेहबूब
मुझे डुबो कर मँझदार फ़िर अफसोस कैसा
kyu सोचता है तू बदले में तुझे प्यार नहीँ मिलता
तेरे लफ्जों को चाहिये दुत्कार फ़िर अफसोस कैसा
तेरी क्या हैसियत करता है "रवि " तू बात लाखों की
मुनाफा मिला ना करके ग़म का करोबार फ़िर अफसोस कैसा
जिस ग़म को पाला "रवि "तूने बच्चो की तरह
उसी ने कर दिया दिल बीमार फ़िर अफसोस कैसा
 
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