समंदर की जानिब से आती हवाओं उसे भूल जाओ, उसे &

~¤Akash¤~

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समंदर की जानिब से आती हवाओं किसे ढूँढती हो
ये सच है उसे पानियों से महोब्बत थी
आँखों मे उसकी समंदर थे सीने मे दरिया रवां थे
उसे बादलों ने लिखा आसमां पर बरसती रही वो मेरी जात के सायेबाँ पर
ख्यालों के सारे जज़ीरों मे वो थी,हवाओं मे वो थी, घटाओं मे वो थी
मगर यूँ हुआ था उसे पानियों से महोब्बत थी
वो पुलज़िमों की तलबगार थी और मैं तो फकत रेत ही रेत था
खुश्क साल की धूप मैं झुलसा हुआ खेत था
मगर यूँ हुआ था उसे पानियों से महोब्बत थी
समंदर की जानिब से आती हवाओं उसे भूल जाओ, उसे भूल जाओ..............
 
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