पुरानी बातें

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
पुरानी बातें

लगता है
कल की ही तो बात है
अभी थोड़ी देर पहले
मैं खेल रही थी आँगन में
कि सहसा कहीं से
एक झोंका आकर उड़ा ले गया
कुछ ढीले लम्हे
और सपनीले मस्त पल
कभी ख़ुशी के दो लम्हे
दे गया और ढेर सारे आँसू।
पलट पलट के देखती रही
आ रहा है मेरे पीछे आज भी
वो पुराना क़िस्सा
कभी शायद मैं
दूर से उसे हाथ हिला
निकल जाऊँ और
दोस्ती हो मेरी उस हवा के
झोंके से
कभी मैं गले लगाऊँ
इन ढेर सारे आँसुओं को
शायद कभी अपना बनाऊँ।
 
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