जिसे उंगलियों ने छुआ नहीं वही बदनसीब सिता&#235

~¤Akash¤~

Prime VIP
कही आँसुओ का काफिला कही जुगनुओ की कतार हूँ,
मैं खीजा की धुप का आइना की मैं एक होकर भी हजार हूँ,

वही सूखे सूखे से पेड़ वही उजड़ी उजड़ी सी टहनिया,
कोई फूल जिसपे खिला नहीं मैं गमो की ऐसी बहार हूँ,

मुझे क्यों बुलाते है प्यार से यह चहकते पंछी मुंडेर के,
मैं खामोशी का दर्द हूँ मैं उदास चाँद का प्यार हूँ,


मैं वो शेर हूँ जिसे न आज तक कहा गया न सुना गया,
जिसे उंगलियों ने छुआ नहीं वही बदनसीब सितार हूँ ...
 
Top