Bhardwaj Ramesh
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[font="].गजल[/font]
[font="]जफ़ा की चोट से दिल टूट कर जब भी बिखर जाए[/font][font="] i [/font]
[font="]कि फिर बदनाम होती है वफ़ा, उल्फत जिधर जाए[/font][font="] i [/font]
[font="]मुझे एहसास है घर में कोई पहिचानता मुझको,[/font]
[font="]यह आइना देखकर मेरी उम्र यूहीं गुज़र जाए[/font][font="] i [/font]
[font="]मेरी यह ज़िन्दगी की नाव है चाहे बहुत जर्जर[/font][font="],[/font]
[font="]गमों के पर समंदर की यह लहरों में उतर जाए[/font][font="] i [/font]
[font="]यह नफ़रत[/font],[font="]आंधियाँ खेलें घरों पर बिज़लियाँ गिरती[/font][font="],[/font]
[font="]बताओ तुम चमन वालो किधर सहमा नगर जाए[/font][font="] i [/font][font="] [/font]
[font="]किसी भी सफ़र पर अपनी कि अब मर्जी नहीं चलती, [/font]
[font="]हवाएं रूख जिधर कर लें उधर हर इक बशर जाए [/font][font="]i [/font][font="] [/font]
[font="]हक़ीकत को बयाँ करके ये सच ही जीतता अक्सर[/font][font="],[/font]
[font="]कि सच के कठघरे बीतर ये झूठा बयान डर जए[/font][font="] i [/font]
[font="]मेरी गुम सुम है परछाई रहे यह जिंदगी तन्हा[/font][font="],[/font]
[font="]बहुत हंसती है तन्हाई मुझे जब देखकर जाए[/font][font="] i [/font]
[font="]रहे जुम्मन का घर जलता अगर गलती है बाबर की[/font][font="],[/font]
[font="]यह मंज़र मंज़र हर तरफ देखूं जिधर मेरी नज़र जाए[/font][font="] i [/font]
[font="]मेरी जब कल्पना उड़ कर है करती ख़ोज बिन्बों की[/font][font="],[/font]
[font="]ख्यालों की बुलंदी से यह तब शायरी निखर जाए[/font][font="] i [/font]
[font="]आर.बी.सोहल[/font]
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