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उड़न सिख मिल्खा सिंह ने कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान ऐथलेटिक्स के करीब 50 गोल्ड में से जब एक भी मेजबान भारत की झोली
में नहीं आएगा तो मेजबान मुल्क के दर्शकों को निश्चित रूप से निराशा होगी।
इस स्टार ऐथलीट ने वेल्स में 1958 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को अकेला गोल्ड मेडल जिताया था। मिल्खा ने फोन पर कहा, 'कॉमनवेल्थ गेम्स भारत में हो रहे हैं, लेकिन जब देश के ऐथलीट इस स्पर्धा में लगे करीब 50 गोल्ड मैडलों में से एक भी गोल्ड मेडल नहीं हासिल कर पाएंगे तो दर्शक निराश होंगे और शर्म से सभी की नजरें झुक जाएंगी।'
हालांकि मिल्खा सिंह ने उम्मीद जताई कि तीन से 14 अक्टूबर तक नई दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में अब भी छह महीने का वक्त बचा है और ऐथलीट कड़ी मेहनत से खुद को तैयार कर सकते हैं। मिल्खा ने साथ ही सभी ऐथलीटों को अच्छा प्रदर्शन करने की शुभकामनाए भी दीं।
उन्होंने कहा, 'अब भी अपने ऐथलीटों को अच्छा प्रदर्शन करने की शुभकामनाएं देता हूं क्योंकि अब भी छह महीने बाकी हैं। हमारे ऐथलीट अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकते हैं। कई साल पहले ही कॉमनवेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को कहा था कि ऐथलीटों को आर्मी की ट्रेनिंग देनी चाहिए, लेकिन इस ओर कुछ काम नहीं हुआ। हमारा प्रदर्शन ऐथलेटिक्स में हर बार की तरह इस बार भी लचर ही रहेगा। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और कनाडा के ऐथलीट मेडल जीत कर चले जाएंगे और हम मुंह ताकते रह जाएंगे। स्टेडियम में जाकर हमारे दर्शकों को वाकई तब निराशा होगी।'
में नहीं आएगा तो मेजबान मुल्क के दर्शकों को निश्चित रूप से निराशा होगी।
इस स्टार ऐथलीट ने वेल्स में 1958 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को अकेला गोल्ड मेडल जिताया था। मिल्खा ने फोन पर कहा, 'कॉमनवेल्थ गेम्स भारत में हो रहे हैं, लेकिन जब देश के ऐथलीट इस स्पर्धा में लगे करीब 50 गोल्ड मैडलों में से एक भी गोल्ड मेडल नहीं हासिल कर पाएंगे तो दर्शक निराश होंगे और शर्म से सभी की नजरें झुक जाएंगी।'
हालांकि मिल्खा सिंह ने उम्मीद जताई कि तीन से 14 अक्टूबर तक नई दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में अब भी छह महीने का वक्त बचा है और ऐथलीट कड़ी मेहनत से खुद को तैयार कर सकते हैं। मिल्खा ने साथ ही सभी ऐथलीटों को अच्छा प्रदर्शन करने की शुभकामनाए भी दीं।
उन्होंने कहा, 'अब भी अपने ऐथलीटों को अच्छा प्रदर्शन करने की शुभकामनाएं देता हूं क्योंकि अब भी छह महीने बाकी हैं। हमारे ऐथलीट अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकते हैं। कई साल पहले ही कॉमनवेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को कहा था कि ऐथलीटों को आर्मी की ट्रेनिंग देनी चाहिए, लेकिन इस ओर कुछ काम नहीं हुआ। हमारा प्रदर्शन ऐथलेटिक्स में हर बार की तरह इस बार भी लचर ही रहेगा। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और कनाडा के ऐथलीट मेडल जीत कर चले जाएंगे और हम मुंह ताकते रह जाएंगे। स्टेडियम में जाकर हमारे दर्शकों को वाकई तब निराशा होगी।'