Punjab News पीएयू 201 पर रोक

पीएयू 201 की जिस तरह से इस साल केंद्र सरकार ने बेकद्री की है उसे देखते हुए पंजाब सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे इस वैरायटी को न लगाएं। पंजाब सरकर के इस फैसले से किसानों को जहां 1350 करोड़ रुपए का रगड़ा लगेगा वहीं सरकार के खजाने में भी 135 करोड़ कम आएंगे। यही नहीं इस साल लगभग 10 मिलियन चावल केंद्रीय पूल में कम जाएगा।

पीएयू वैरायटी की पैदावार अन्य वैरायटी से लगभग 11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अधिक होने के कारण किसानों को लगभग 1350 करोड़ रुपए इस साल अधिक मिलने थे। पिछले साल के मुकाबले इस साल लगभग 35 फीसदी रकबे पर पीएयू 201 लगाई जानी थी । इस वैरायटी को पकने में कम समय लगने के कारण भूजल की बचत अलग से होती।


लेकिन केंद्र सरकार ने इस वैरायटी को अप्रूव करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसके चलते शैलर्स में ये वैरायटी आज भी मिलिंग को तरस रही है। खेतीबाड़ी विभाग के निदेशक बलविंदर सिंह सिद्धू ने बताया कि पीएयू की पैदावार अन्य वैरायटी के मुकाबले अच्छी जरूर है लेकिन मिलिंग के दौरान इसमें आने वाले डैमेज की वजह से केंद्रीय एजेंसी एफसीआई इसे लेने में कतरा रही है।


यदि केंद्र इसमें अन्य वैरायटी के मुकाबले छूट अधिक देता तो निश्चित रूप से जहां केंद्रीय पूल में इस साल पिछले सालों के मुकाबले दस मिलियन टन चावल अधिक जाता वहीं किसानों को भी अतिरिक्त लाभ होता। उन्होंने बताया कि पिछले साल मात्र 18 फीसदी रकबे पर ही पीएयू 201 की खेती हुई थी जो इस साल 35 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद थी लेकिन मिलिंग की समस्या आने के कारण हमने किसानों से इस वैरायटी को लगाने में संकोच बरतने को कहा है।


खेतीबाड़ी विभाग के निदेशक का कहना है कि उन्होंने हार नहीं मानी है। हम फिर से केंद्र सरकार को मनाने की कोशिश करेंगे और इसके लाभ को बताकर अधिक छूट की मांग करेंगे। उधर सरकार के अचानक पीएयू 201 वैरायटी न लगाने के फैसले ने किसानों ने हड़कंप मचा दिया है क्योंकि किसानों ने पिछले दिनों ही पीएयू में लगे मेले से पीएयू 201 का बीज भारी मात्रा में लिया है।


अब किसान वैकल्पिक वैरायटी के बीज लेने के लिए मारे मारे घूम रहे हैं। रामपुरा फूल के किसान गुरदयाल ने बताया कि पीआर 118 का जो बीज 25 रुपए मिल रहा था अब उसकी कीमत 50 रुपए हो गई है और वह भी सिफारिशें करने के बाद मिल रहा है।
 
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