rajivsrivastava
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सब की होती है शादी ,मेरी भी हुई शादी,
नही पता था इतनी जल्दी खो दूँगा आज़ादी!
सात फेरो के साथ मेरी खुशिया हो गयी भंग,
मुझे लेकर मेरी माँ और पत्नी मैं छिड़ गयी जंग!
माँ से प्यार जताउँ तो पत्नी मुझे सताए,
पत्नी से प्रीत बढ़ाउँ तो माँ आँख दिखाए!
माँ के लिए जब लाउँ साडी तो पत्नी को होवे दुख,
पत्नी को घूमने ले जाउँ तो मान दे "ड्र्टी लुक'!
शाम को जब घर पहुँचू तो देखु दोनो बैठी मूह फुलाए,
माँ को जो समझना चाहू तो पत्नी अश्रु बहाए!
महीने की पहली तारीक़ को होवे बहुत कष्ट,
जो पैसे दे दू माँ को तो पत्नी होवे रुष्ट!
माँ की तारीफ करू तो पत्नी खीज निकाले ,
जो पत्नी से लाड करू तो माँ मुझको दुतकारे!
माँ और पत्नी के बीच फँस गया मैं बेचारा,
दोनो को कैसे समझोउ सोच-सोच मैं हरा!
यारो ने समझाया की इस जंग का नही कोई अंत,
तू दोनो के बीच ना पड़ बस बन के रहना संत!
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा