कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने एक ऐसी ऑटोमैटिक डिवाइस की खोज की है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस डिवाइस का नाम 'आर्टिफिशियल पैंक्रियाज' रखा गया है क्योंकि ये सुगर लेवल को खुद ब खुद कंट्रोल में रखती है।
बता दें कि ये डिवाइस टाइप-2 के मरीजों के लिए खासी राहत लेकर आई है क्योंकि अब उन्हें बार-बार इन्सुलिन का इंजेक्शन नहीं लेना होगा। ख़बरों के मुताबिक ये अगले साल तक बाज़ार में आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
कैसे काम करती है ये डिवाइस
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस डिवाइस को ऑन करते ही ये शरीर में ग्लूकोज लेवल को मॉनिटर करना शुरू कर देती है। डिवाइस जरूरत पड़ने पर रेग्युलर इंटरवल पर डायबिटीज मरीज की स्किन में इंसुलिन को पैचेज के जरिए भेजती रहती है। इसका साइज़ सिर्फ आईफोन जितना है और इसे कपड़ों के नीचे आसानी से पहना जा सकता है। फिलहाल डिवाइस की अनुमानित कीमत नहीं बताई गई है लेकिन इतना तो तय है कि भारत में मौजूद डायबिटीज के 5 करोड़ लोगों के लिए ये अच्छी खबर है।
क्या है इस डिवाइस का फायदा
ज्यादातर लोगों को समय-समय पर इंसुलिन का इंजेक्शन लगवाना होता है जिससे अब छुटकारा मिलेगा. दूसरी तरफ टाइप-2 स्टेज के मरीजों को कई बार हर घंटे उंगलियों में इंजेक्शन के सहारे ब्लड में ग्लूकोज लेवल का टेस्ट करना होता है जो इस डिवाइस के बाद कल की बात हो जाएगा। इस डिवाइस की एक और खासियत है कि यह न केवल मरीज के ब्लड में शुगर लेवल को कंट्रोल में रखेगी, बल्कि इससे उसका लेवल भी देखा जा सकता है।
बता दें कि ये डिवाइस टाइप-2 के मरीजों के लिए खासी राहत लेकर आई है क्योंकि अब उन्हें बार-बार इन्सुलिन का इंजेक्शन नहीं लेना होगा। ख़बरों के मुताबिक ये अगले साल तक बाज़ार में आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
कैसे काम करती है ये डिवाइस
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस डिवाइस को ऑन करते ही ये शरीर में ग्लूकोज लेवल को मॉनिटर करना शुरू कर देती है। डिवाइस जरूरत पड़ने पर रेग्युलर इंटरवल पर डायबिटीज मरीज की स्किन में इंसुलिन को पैचेज के जरिए भेजती रहती है। इसका साइज़ सिर्फ आईफोन जितना है और इसे कपड़ों के नीचे आसानी से पहना जा सकता है। फिलहाल डिवाइस की अनुमानित कीमत नहीं बताई गई है लेकिन इतना तो तय है कि भारत में मौजूद डायबिटीज के 5 करोड़ लोगों के लिए ये अच्छी खबर है।
क्या है इस डिवाइस का फायदा
ज्यादातर लोगों को समय-समय पर इंसुलिन का इंजेक्शन लगवाना होता है जिससे अब छुटकारा मिलेगा. दूसरी तरफ टाइप-2 स्टेज के मरीजों को कई बार हर घंटे उंगलियों में इंजेक्शन के सहारे ब्लड में ग्लूकोज लेवल का टेस्ट करना होता है जो इस डिवाइस के बाद कल की बात हो जाएगा। इस डिवाइस की एक और खासियत है कि यह न केवल मरीज के ब्लड में शुगर लेवल को कंट्रोल में रखेगी, बल्कि इससे उसका लेवल भी देखा जा सकता है।