Saini Sa'aB
K00l$@!n!
कभी-कभी
अच्छा लगता है
सपनों में जीना।
दूर देश में
रात अकेले
नींद न आती है
ऐसे में
माँ की सूरत
थपकियाँ लगाती है
अच्छा लगता है
अपनों से
मिला दर्द पीना।
मान-मनौवल
हँसी-ठिठोली
चुहल और मनुहार
सूनेपन में
बेहद दुखता है
अनब्याहा प्यार
अच्छा लगता है
अपने घर का
आँगन-जीना।
सोचो
किसने इन आँखों की
नींद चुराई है
लगती है
हर चीज़ यहाँ
हो गई पराई है।
अपने आँगन बीच
खड़ी माँ
है असाध्य वीणा।
अच्छा लगता है
सपनों में जीना।
दूर देश में
रात अकेले
नींद न आती है
ऐसे में
माँ की सूरत
थपकियाँ लगाती है
अच्छा लगता है
अपनों से
मिला दर्द पीना।
मान-मनौवल
हँसी-ठिठोली
चुहल और मनुहार
सूनेपन में
बेहद दुखता है
अनब्याहा प्यार
अच्छा लगता है
अपने घर का
आँगन-जीना।
सोचो
किसने इन आँखों की
नींद चुराई है
लगती है
हर चीज़ यहाँ
हो गई पराई है।
अपने आँगन बीच
खड़ी माँ
है असाध्य वीणा।