preet_singh
a¯n¯i¯m¯a¯l¯_¯l¯o¯v¯e¯r¯
जितना भूलाओ उतना याद आती है वो
उसकी यादें दिल को दरद दे जाती है।
नही चाहता जब याद उसको करना तो
किसी राह पर नज़र आ जाती है वो।
बहुत मुशकील से काटता हुं रातें
आखों में नींद नहीं आती
पलकें बंद करता हुं तो नज़र आती है वो।
उसकी सूरत आखों से कयों नहीं निकल पाती,
जितना भूलऊ उतना कयों याद आती है वो ।।।।
उसकी यादें दिल को दरद दे जाती है।
नही चाहता जब याद उसको करना तो
किसी राह पर नज़र आ जाती है वो।
बहुत मुशकील से काटता हुं रातें
आखों में नींद नहीं आती
पलकें बंद करता हुं तो नज़र आती है वो।
उसकी सूरत आखों से कयों नहीं निकल पाती,
जितना भूलऊ उतना कयों याद आती है वो ।।।।