Punjab News भू-माफिया से मिला ब्लॉक फॉरेस्ट ऑफिसर सस्&#234

मोहाली. माजरियां गांव की पहाड़ी जमीन पर कब्जा कर उसमें सड़कें निकालने में भू-माफिया की मदद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का ब्लॉक ऑफिसर ही कर रहा था। कब्जा करने वालों को फॉरेस्ट एक्ट से बचने की पूरी जानकारी ब्लॉक ऑफिसर ही देता था। अधिकारियों के क्षेत्र में आने के बारे में मोबाइल फोन के जरिए पूरी जानकारी दी जाती थी। ब्लॉक ऑफिसर सुनील बाली को कंजरवेटर फॉरेस्ट पंजाब ने डीएफओ रोपड़ की रिपोर्ट पर सस्पेंड कर दिया है।

लंबे समय से थी साठगांठ

जांच में पता चला कि खरड़ ब्लॉक फॉरेस्ट ऑफिसर सुनील बाली लंबे समय से पहाड़ी जमीन पर कब्जा करने वाले भू माफिया के साथ मिला हुआ था। वह समय-समय पर उन्हें विभाग की गतिविधियों के बारे में जानकारी देता था। इसी अधिकारी के पास पूरे इलाके का चार्ज था। वह अपने मातहतों को यहां आने से रोकता था, ताकि पहाड़ों में निकाली जा रही सड़कों तथा अन्य कार्रवाई का किसी को पता न चल सके। इस एरिया में आम लोगों को भी जाने से रोका जाता था।

उच्चधिकारियों की टीम इलाके में जाती थी, तो कब्जाधारी वहां मौजूद होते थे और जांच में बाधा डालते थे, गुमराह करने वाले तर्क देते थे। छोटे स्तर के अधिकारियों को कब्जाधारी इक्ट्ठे होकर रोक लेते थे। मंगलवार को ही उन्हांेने डिप्टी डीएफओ तथा रेंज ऑफिसर को पहाड़ पर जाने से रोका था।

बुधवार को प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर टीम के साथ गांव गुडा माजरियां जमीन का मुआयना करने पहुंचे तो उन्हें कहा गया था कि जो सड़क निकाली गई है, वह पहले से ही बनी हुई थी। जब अधिकारियों को कब्जाधारियों ने इक्ट्ठे होकर पहाड़ी पर जाने से रोका तो भी सरकारी अधिकारियों के कार्य में बाधा डालने के लिए दो बार मुल्लांपुर पुलिस को शिकायत दी गई। परंतु उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अधिकारियों के अनुसार रास्ते को चौड़ा कर उस पर भी सड़क बनाने के लिए पत्थर डाले जाने थे। अधिकारी पहाड़ी पर जाकर ये देख हैरान हुए कि भोले बाबा के मंदिर के नाम पर एक हरा भरा बांस का बंबू लगा था और उस पर एक झंडा लगाया हुआ था। जब अधिकारी पहाड़ी पर जा रहे थे तब भी उन्हें ये कहकर रोका गया कि पहाड़ी रास्ता काफी लंबा है।

पुलिस की भी मदद नहीं मिलती थी अधिकारियों को

वन अधिकारी के भू-माफिया से मिले होने के कारण पुलिस की मदद भी चैकिंग करने आए अधिकारियों को नहीं मिलती थी। डीएफओ की ओर से कई बार पुलिस को लिखा गया कि उन्हें पहाड़ी एरिया में जाने के लिए सुरक्षा मुहैया करवाई जाए, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

कॉल डिटेल से खुलासा

कब्जा करने वालों को हमेशा अधिकारियों के आने की जानकारी रहती थी। इससे डीएफओ रोपड़ को शक हुआ कि विभाग का ही कोई शख्स कब्जेदारों से मिला हुआ है। इसी आधार पर सबके कॉल डिटेल निकाले गए। डीएफओ की रिपोर्ट में ब्लॉक ऑफिसर सुनील बाली की कॉल डिटेली भी लगाई गई है, जिसमें उसने जमीन पर सड़कें निकालने वाले व्यक्तियों से अधिकारियों के आने से पहले और उनके जाने के बाद बात की। दिन में कई बार बातचीत पाई गई।
 
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