अपनी माँ के पाँव दबाता रहता हूँ.............

~¤Akash¤~

Prime VIP
तन्हाई का ज़शन मनाता रहता हूँ
खुद को अपने शेर सुनाता रहता हूँ

वो भाषण से आग लगाते रहते है
मैं ग़ज़लों से आग बुझाता रहता हूँ

जन्नत की कुंजी है मेरी मुट्ठी मे
अपनी माँ के पाँव दबाता रहता हूँ.............
 
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