Motivational stories of Lokmanya Bal Gangadhar Tilak

jassmehra

(---: JaSs MeHrA :---)
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'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' का नारा देने वाले बाल गंगाधर तिलक की आज 159वीं जयंती है। देश के इस अमर क्रांतिकारी ने ब्रिटिश शासन के दौरान सबसे पहले पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी। महाराष्ट्र में गणेशोत्सव से युवाओं को जोड़कर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला। तिलक समाजसेवी, राजनेता, क्रांतिकारी होने के साथ एक पत्रकार भी थे। कई बार अपने अखबार 'केसरी' में आक्रमक लेख लिखने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उन्हें 'लोकमान्य' और हिंदू राष्ट्रवाद का जनक भी कहा जाता है। आइए, जानते हैं उनके जीवन से जुड़ें कुछ रोचक किस्से और उनसे मिलने वाली सीख।

...जब खेल में खुद से हार गए थे तिलक
बाल गंगाधर तिलक एक बार अपने घर पर अकेले बैठे थे। अचानक उन्हें चौपड़ खेलने की इच्छा हुई, लेकिन अकेले चौपड़ कैसे खेलते। इसके लिए उन्होंने घर के खंभे को अपना साथी बनाया। वे दाएं हाथ से खंभे के लिए और बाएं हाथ से अपने लिए पांसे फेंकने लगे। इस तरह खेलते-खेलते वह 2 बार हार गए थे। उनकी दादी दूर से यह सब नजारा देख रही थीं। हंसते हुए बोलीं, ''अरे बेटे गंगाधर तुम एक खंभे से हार गए।'' इस पर तिलक ने कहा, ''हार गया तो क्या हुआ, मेरा दायां हाथ खंभे की तरफ था और मुझे दाएं हाथ से खेलने की आदत है। इसलिए खंभा जीत गया और मैं हार गया।'' ऐसा था तिलक का न्याय! जिस हाथ से अच्छे से खेल सकते थे, उससे खंभे के पक्ष में खेले और आसानी से अपनी हार स्वीकार कर ली।

...जब क्लास में टॉप आने पर रोए थे तिलक
एक बार परीक्षा में तिलक ने सारे सवालों के सही जवाब लिख डाले। रिजल्ट आने पर सफल स्टूडेंट्स को इनाम बांटे जा रहे थे। क्लास में टॉप करने पर तिलक का नाम पुकारा गया। जैसे ही टीचर उन्हें इनाम देने के लिए आगे बढ़े तो वह जोर-जोर से रोने लगे, सब को बड़ा आश्चर्य हुआ। टीचर ने तिलक से रोने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा, ''टीचर, सच यह है कि सभी सवालों के जवाब मैंने खुद नहीं लिखे हैं। आप मुझे क्लास में टॉप करने के लिए इनाम दे रहे हैं, लेकिन एक जवाब मैंने अपने दोस्त से पूछकर लिखा था। इसलिए मैं इस इनाम का हकदार नहीं हूं।'' टीचर उनकी ईमानदारी से बेहद खुश हुए और उनकी सच्चाई, ईमानदारी के लिए इनाम दिया।

लोकमान्य के जीवन से ले सकते हैं सीख
- हर काम ईमानदारी और नैतिकता के साथ करना चाहिए।
- सफल होने के लिए किसी आदमी में यह दोनों गुण जरूरी हैं।
- जो व्यक्ति खुद के प्रति ईमानदार होता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है।
- हमें अपनी हार को भी बड़ी आसानी से स्वीकार कर लेना चाहिए।
 
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