Graves of Laila & Majnu located in India

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(---: JaSs MeHrA :---)
लैला-मजनूं ने इस मजार पर दी थी जान, कपल्स मांगते हैं मन्नत

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दुनिया में सैकड़ों साल बाद भी लैला-मजनूं की प्रेम कहानी अमर है। इसका इतिहास कहीं न कहीं भारत से भी नाता रखता है। कहा जाता है कि दोनों ने अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हे पाकिस्तान बार्डर के महज 2 किलोमीटर दूर राजस्थान की जमीन पर गुजारे थे। उनकी याद में श्रीगंगानर जिले में 'लैला-मजनूं' की मजार बनी है। जहां हर साल 15 जून महीने में मेला लगता है। हिंदुस्तान और पाकिस्तान से हर मजहब के लोग अनूपगढ़ तहसील के गांव बिंजोर में बनी इस मजार पर मन्नत मांगने आते हैं।

राजस्थान में हुई थी लैला-मजनूं की मौत
लोगों का मानना है कि लैला-मजनूं सिंध प्रांत के रहने वाले थे। उनकी मौत यही हुई थी यह तो सब मानते है, लेकिन मौत कैसे हुई इसके बारे में कई मत है। कुछ लोगों का मानना है कि लैला के भाई को जब दोनों के इश्क का पता चला तो उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने क्रूर तरीके से मजनूं की हत्या कर दी। लैला को जब इसका पता चला तो वह मजनूं के शव के पास पहुंची और खुदकुशी कर जान दे दी। कुछ लोगों का मत है कि घर से भाग कर दर-दर भटकने के बाद वे यहां तक पहुंचे और प्यास से उन दोनों की मौत हो गई। वहीं, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि अपने परिवार वालों और समाज से दुखी होकर उन्होंने एक साथ सुसाइड कर लिया था।

लैला-मजनूं की मजार पर पूरी होती हैं मन्नत
हर साल 15 जून को लैला-मजनूं की मजार पर दो दिन का मेला लगता है। जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के प्रेमी और नवविवाहित जोड़े आते हैं और अपने सफल विवाहित जीवन की कामना करते हैं। खास बात यह है कि इस मेले में सिर्फ हिंदू या मुस्लिम ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में सिख और ईसाई भी शरीक होते हैं। यहां मांगी जाने वाली हर मन्नत पूरी होती है। यह पवित्र मजार प्रेम के सबसे बड़े धर्म की एक मिसाल है।

कौन थे लैला-मजनूं
लैला-मजनूं की प्रेम कहानी किसी काल्पनिक कहानी से कम नहीं, लेकिन यह सच है। सदियों से लैला मजनूं की कहानी सुनी-सुनाई जाती है और आज भी यह प्रेम कहानी लोगों के बीच अमर है। यह उस दौर की कहानी है जब प्रेम को बर्दाश्त नहीं किया जाता था और प्रेम को एक सामाजिक बुराई की तरह देखा जाता था। अरबपति शाह अमारी के बेटे कैस (मजनूं) और लैला नाम की लड़की के बीच मरते दम तक प्यार चला और आखिर इसका अंत दुखद हुआ। उनके अमर प्रेम के चलते ही लोगों ने दोनों के नाम के बीच में 'और' लगाना मुनासिब नहीं समझा और दोनों हमेशा के लिए 'लैला-मजनूं' के रूप में ही पुकारे गए।

बीएसएफ ने बॉर्डर पर बनाई है मजनूं पोस्ट
दुनिया में अतीत के इन महान प्रेमियों को भारतीय सेना ने भी पूरा सम्मान दिया है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित एक पोस्ट को बीएसएफ की 'मजनूं पोस्ट' नाम दिया है। कारगिर युद्ध से पहले मजार पर आने के लिए पाकिस्तान से खुला रास्ता था, लेकिन इसके बाद आतंकी घुसपैठ के चलते इसे बंद कर दिया गया।
 
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