सरकारी घोषणा को 'तोहफा' कैसे कह देते हैं!

Arun Bhardwaj

-->> Rule-Breaker <<--
Shambhu Dayal Vajpayee : आज एक न्*यूज चैनेल देख रहा था। बार आ रहा था- अखिलेश का प्रदेश को तोहफा। चैनेल वाले अक्*सर ऐसा कहते हैं। अखबार भी लिखते हैं- मुख्*यमंत्री ने तोहफों की झडी लगायी। मैं समझ नहीं पाता कि यह 'तोहफा' कैसे है।
तोहफा तो वह होता है जो अपने पास से, अपनी सम्*पत्ति से किसी को प्रेम-सम्*मान में दे, न कि सरकारी योजनायें या सरकारी खजाने का पैसा। मुख्*यमंत्री तो लोक सेवक होता है। लोकतंत्र में लोक जनता-जर्नादन ही स्*वामी होता है। इसलिए मुख्*यमंत्री सरकारी घोषणा के रूप में तोहफा कैसे दे सकता है।

ऐसा कह हम नेताओं-मंत्रियों को महिमा मंडित ही तो करते हैं। यह कुछ इसी तरह है जैसे सांसद-विधायक क्षेत्र विकास निधि के पैसों में लिख-कह दिया जाता है कि फलां नेता ने फलां योजना या संस्*था को इत्*ते लाख दिये। जैसे वह सांसद-विधायक अपनी जेब से दे रहा हो। वह तो उस सरकारी रकम से उल्*टे कमीशन भी लेता है।
वरिष्ठ पत्रकार शंभू दयाल बाजपेयी के फेसबुक वॉल से.
 
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