Swami Nigamananda on 4-month fast to save Ganga, dies

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- dEsPeraTe cRaNky -
Dehradun:

Swami Nigamananda Saraswati, a member of Matri Sadan, an ashram on the banks of the Ganga in Haridwar, had been on a fast for almost four months, died on Monday.
He was protesting against the illegal mining that is polluting the Ganga.

The Swami had recently gone into coma and was admitted to the Jolly Grant Hospital in Dehradun. Baba Ramdev had reportedly visited the Swami in hospital.


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Earlier also, for almost three months in 2008, Swami Nigamanand Saraswati had gone on a fast to save Ganga from the illegal mining.




काले धन और भ्रष्*टाचार के खिलाफ 9 दिन अनशन करने वाले बाबा रामदेव को आज यहां जॉली ग्रांट हिमालयन इंस्*टीट्यूट अस्*पताल से छुट्टी मिल जाएगी। पर अनशन के चलते तबीयत बिगड़ने के बाद इसी अस्*पताल में इलाज करा रहे मातृसदन के संत स्*वामी निगमानंद अस्*पताल से जीवित नहीं लौट सके। स्*वामी के वरिष्*ठ सहयोगी आरोप लगा रहे हैं कि उनकी स्*वाभाविक मौत नहीं हुई, बल्कि उन्*हें जहर देकर मार डाला गया।

34 वर्षीय संत स्वामी निगमानंद गंगा रक्षा की मांग को लेकर गत 19 फरवरी से मातृसदन में अनशन पर बैठे थे। अनशन के 68 वें दिन 27 अप्रैल को स्वामी निगमानंद की तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें दो मई को हिमालयन इंस्टीटयूट रेफर कर दिया। यहां भी स्थिति में सुधार नहीं आया और वे कोमा में चले गए। सोमवार रात दो बजे निगमानंद की मृत्यु हो गई।

मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि अस्पताल में निगमानंद को जहर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों के इशारे पर यह किया गया। उन्होंने स्*वामी का पोस्*टमॉर्टम स्*थानीय डॉक्*टर से कराने के बजाय एम्स के डॉक्*टरों से कराने की मांग की है।

स्वामी निगमानंद के गुरु भाई स्वामी कौशलेंद्र ने भी स्वामी निगमानंद को जहर दिए जाने का आरोप लगाया।


RIP !!
 

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- dEsPeraTe cRaNky -
देश की लाइफलाइन गंगा को बचाने की मांग को लेकर 68 दिनों तक अनशन करने के बाद कोमा में गए स्वामी निगमानंद की मौत हो गई। 2 मई से वह देहरादून के उसी हिमालयन इंस्टिट्यूट जौलीग्रांट हॉस्पिटल में भर्ती थे, जहां रामदेव बाबा भर्ती थे। विडंबना यह है कि सिर्फ 9 दिनों का अनशन करने वाले रामदेव का हाल जानने के लिए देशभर का मीडिया और हाई प्रोफाइल संत व नेता वहां जमावड़ा लगाए रहे, लेकिन कोमा की हालत में जीवन-मृत्यु से जूझ रहे निगमानंद की किसी ने खबर नहीं ली और रविवार की रात उनकी गुमनाम मौत हो गई।

मातृसदन से जुड़े 3 4 वर्षीय निगमानंद गंगा में खनन को बंद करने और हिमालयन स्टोन क्रेशर को कुंभ क्षेत्र से हटाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने इस साल 19 फरवरी को अनशन शुरू किया था। अनशन के 68 वें दिन 27 अप्रैल को उनकी तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। 2 मई को वह कोमा में चले गए थे और इसके बाद उन्हें हिमालयन इंस्टिट्यूट जौलीग्रांट हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया था।

वेद-पुराणों के ज्ञाता निगमानंद ने इसके पहले 2001 में देहरादून के गांधी पार्क में भ्रष्टाचार को लेकर 73 दिन का अनशन किया। उन्होंने 2008 में भी 68 दिन का अनशन किया था। लोहारीनागपाला जल विद्युत परियोजना को रद्द करने की मांग को लेकर प्रो.जीडी अग्रवाल के अनशन के दौरान भी वह सक्रिय रहे।

निगमानंद की मौत से व्यथित मातृसदन के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार, प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था भ्रष्ट हो चुकी है। गंगा बलिदान मांग रही है और मैं यह बलिदान दूंगा। उन्होंने निगमानंद का पोस्टमार्टम एम्स के डाक्टरों से कराने की मांग की है और आरोप लगाया कि राज्य सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों के इशारे पर इस युवा संन्यासी को जहर देकर मारा गया।

स्वामी शिवानंद ने हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ . पी . के . भटनागर और क्रेशर के मालिक ज्ञानेश कुमार के खिलाफ कोतवाली थाने में 11 मई को शिकायत दर्ज कराई थी कि 30 अप्रैल को इलाज के दौरान निगमानंद को जहर दे दिया गया था , जिसके चलते वह 2 मई को कोमा में चले गए थे।
 

pps309

Prime VIP
^^ sahi gal aa ji, desh-bhakti de parde picche apna fayda dekhdiya ne sari political partiya.......

Lok v nahi samjhdi ke Desh-Bhakti desh de naam te bhajan ya sohille gaa ke nahi, balki desh de lokaa nu khush rakh ke mildi aa.
 
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