संगीत देखने नहीं, सुनने के लिए है: हंस राज हं&

पंजाब की कला संस्कृति निराली है। यहां के नदियों के पानी की खलखल में संगीत की आवाज आती है। लेकिन बिडंवना यह है कि आजकल के युवा संगीत को देख रहे हैं। भद्दे भद्दे डांस के बीच गीतों को पिरोया जा रहा है। जबकि संगीत सुनने की चीज है।

संगीत दिमाग से नहीं दिल और आत्मा को जोड़कर भगवान से रास्ता जोड़ता है। उन्होंने बताया कि कोई भी गायकी बिना शास्त्रीय संगीत की तालिम के बिना पूर्ण नहीं हो सकती है। शास्त्रीय संगीत सभी संगीत की मां है।आज कल संगीत के नाम पर हल्ला हो रहा है। लोगों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा।

जिससे अच्छे गायक नहीं आ रहे। वीरवार को वह पंजाब संगीत नाटक अकादमी चंडीगढ़ के प्रथम कार्यकारिणी की मिटिंग में बतौर प्रधान शिरकत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि के संगीत की न कोई दीवार है और न ही कोई भाषा।संगीत दिलों को जोड़ती है।

उन्होंने वह पंजाब की गलियों गलियों में संगीत की बयार बहते देखना चाहते हैं इसके लिए वह गुरुशिष्य परंपरा के तहत शास्त्रीय संगीत, गुरमत संगीत, फोक संगीत को बढ़ावा देने के लिए मुहिम चलाएंगे। उन्होंने बताया कि वह जल्दोजल्द हिंद पाक मेला का आयोजन करेंगे। जिसमें हिंदोस्तान और पाकिस्तान के गायक गायिका भाग लेंगे। इससे संगीत का आदान प्रदान होगा।
 
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