सूखे हर्बल रंगों से मनाएं होली

रंगों का त्योहार होली अब ज्यादा दूर नहीं। सब जुट गए हैं इसकी तैयारियों में अगर आप चाहते हैं कि होली का त्योहार बिना किसी नुक्सान आपको बस खुशियां और मीठी यादें दे जाए, तो हमारी मानिए होली सूखे हर्बल रंगों की मनाए। ऐसा कर जहां कर आप पानी को बचाएंगे वहीं केमिकल्ज के बुरे प्रभावों से खुद को बचाएंगे।


तो आईए इस बार होली हर्बल रंगों की मनाते हैं। हर्बल रंगों संग सूखी होली खेलने के ढेरों फायदे हैं। इन रंगों को इस्तेमाल कर पानी बचाया जा सकता है। क्योंकि होली खेलने में जितना पानी खर्च होता है, उससे कहीं ज्यादा पानी तो रंग छुड़ाने में खर्च हो जाता है। दूसरा इन रंगों से न तो त्वचा को किसी तरह का कोई नुकसान होता नहीं होता है।


इकोफ्रेंडली होते हैं ये रंग


पीएयू होमसाइंस विभाग की डीन नीलम ग्रेवाल का कहना है कि हमारा मकसद है पर्यावरण और पानी को बचाना और उन लोगों को प्राकृति के नजदीक लाना जो प्राकृति से दूर होते जा रहे हैं। यह रंग इको फ्रेंडली होते हैं। इनसे किसी भी तरह का नुक्सान नहीं होता है।


गुलाल का रंग टेंसु के फूलों को सूखाकर उसमें अरारोट, पालक, और हल्दी मिलाकर तैयार किया जाता है। ये रंग इको फ्रेंडली होने के साथ खुशबुदार भी होते हैं। ये रंग बहुत ही साफ्ट होते हैं। इससे स्किन को किसी भी तरह का नुक्सान नहीं पहुंचता है। ऐसा कहना है कि संदीप कौर का।


गलती से अगर मुंह में भी चला जाए तो कोई नुकसान नहीं होता। ध्यान रहे कि बाजार में मिलने वाला सस्ता अबीर-गुलाल धोने के बाद भी अपना निशान छोड़ जाता है। लेकिन हर्बल रंग लगाने के बाद उसे पोंछने पर कोई निशान नहीं पड़ता और न ही इन रंगों को छुडाने के लिए एक अधिक पानी की जरूरत होती है।


ऐसे बनाएं घर पर हर्बल रंग


केमिकल्ज से होने वाले नुकसानों और प्रभावों के बारे में तो सब जानते ही हैं। इन रंगों में लैड की मात्रा अधिक होती है। जिससे त्वचा को नुकसान तो होता ही है और अगर यह मुंह में चला जाए तो कई बीमारियों का कारण भी बनता है। इस लिए हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल किया जाए। इन रंगों को आप अपनी किचन में भी तैयार कर सकते हो। सब कुछ है आपकी किचन में।


1. सूखा पीला रंग
2 चम्मच हल्दी में 4 चम्मच बेसन मिलाएं। आपका सूखा पीला रंग बनकर तैयार है।


2. सूखा लाल रंग
लाल चंदन के पॉउडर का इस्तेमाल करें। इसके अलावा गुडहल की पत्तियों को सुखाकर पीस लें। किसी भी आटे के साथ मिला लें।


3. सूखा हरा रंग
हरी सब्जियों का पेस्ट बनाएं। फिर इसे सूखने के लिए रख दें। सूखी मेंहदी से भी हरा रंग तैयार किया जा सकता है।


आंखों के विशेषज्ञ डा. रमेश मंसूरा बताते हैं कि केमिकल्ज रंगों में मौजूद माइका आंखों के कोर्निया को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर रंग आंखों में चला जाए तो आंखों में जलन होने लगती है।


पिछले साल मेरे पास कई केस ऐसे भी आए हैं, जिनकी आंखों के कोर्निया पर रंगों का असर काफी पड़ा। कई दिनों तक इलाज करवाने के बाद ही आंखें ठीक हुई। इसलिए मेरी तो यही सलाह है कि हर्बल रंगों से ही होली मनाई जाए।


त्वचा भी होती है प्रभावित


डर्मेटोलॉजिस्ट डा. मोनिका भारती कहती हैं कि रासायनिक रंगों के इस्तेमाल से त्वचा पर लाल दाने होने लगते हैं। कई बार तो त्वचा पर ये रंग एलर्जी भी कर जाते हैं। कई रासायनिक रंग तो इतने पक्के होते हैं कि त्वचा पर अपना निशान भी छोड़ देते हैं। इसलिए सेफ और सुरक्षित होली ही खेलें।


सॉयल विभाग के डा. यादविंदर सिंह का कहना है कि अगर सूखे हर्बल रंगों संग होली खेलें तो आप पर्यावरण को बचाने का काम कर सकते हैं, क्योंकि शरीर से रंग छुटने के बाद रासायनिक रंग पानी मे मिल जाते है और जमीन में सोखे जाने के बाद मिट्टी को भी प्रदूषित कर देते हैं।
 
Top