सीढ़ी लगाकर चांद पर उतारेंगे रोवर

चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 की सहायता से सीढ़ी लगाकर रोवर (रोबोटिक गाड़ी) उतारी जाएगी। इससे चंद्रमा की उत्पत्ति का रहस्य पता लगाया जा सकेगा। वर्ष २क्१२-१३ में पूरे होने वाले इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) जुटा हुआ है। इसके लिए चंद्रयान-1 को और अधिक विकसित कर चंद्रयान -२ बनाया जा रहा है। यह बात चंद्रयान मिशन ऑफ इंडिया के तहत चंद्रमा के निर्माण की खोज कर रहे प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर वैज्ञानिक डॉ. राजमल जैन ने भास्कर से मुलाकात में कही। डॉ. जैन शनिवार को अल्प समय के लिए शाजापुर रुके थे।


इसरो के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. जैन ने बताया कि चंद्रयान-१ ने बहुत ही सार्थक परिणाम दिए हैं, यह उपग्रह सिर्फ चंद्रमा की सतह के चक्कर लगा रहा है लेकिन इसरो अब सतह पर रॉवर गाड़ी उतारने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए चंद्रयान-२ को विकसित किया जा रहा है। इसी की सहायता से सीढ़ी लगाकर गाड़ी उतारी जाएगी। इससे चंद्रमा की सतह से नीचे तक का पता लगाया जा सकेगा। यहीं से चंद्रमा के निर्माण की खोज शुरू होगी।


चंद्रयान -1 को मिली सफलता
इसरो द्वारा छोड़े गए चंद्रयान-१ को अच्छी सफलता मिली है। उपग्रह द्वारा भेजे चित्रों से पता चला है कि चंद्रमा पर पानी मौजूद है। यह बहुत ही बड़ी उपलब्धि है। अभी दक्षिण, उत्तर में पानी के संकेत मिले हैं। साथ ही वहां गड्ढों का भी पता चला है। अब खोज की जा रही है कि कहां-कहां पानी मौजूद है। उपग्रह द्वारा भेजे गए चित्रों का विश्लेषण किया जा रहा है।


चंद्रमा की उत्पत्ति की प्रक्रिया ही खोज
डॉ. श्री जैन ने बताया कि चंद्रयान मिशन ऑफ इंडिया के तहत मुख्य खोज यही की जाना है कि आखिर चंद्रमा की उत्पत्ति की प्रक्रिया क्या है। वह कौन-से पार्टीकल हैं, मैकेनिज्म क्या है। वायुमंडल, चुंबकीय मंडल न होने की वजह क्या है। इन सब विश्लेषणों के बाद ही चंद्रमा पर मानव जीवन के बारे में सोचा जा सकता है। इन सभी प्रयोगों के लिए प्रस्ताव बनाए गए हैं।


चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में अंतर
चंद्रयान-१ सिर्फ चंद्रमा की सतह के चक्कर लगा रहा है। इसकी सहायता से चंद्रमा की सतह के फोटो लिए जा रहे हैं, लेकिन चंद्रयान -२ को चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा। इससे सतह की खोज की जा सकेगी। यह कार्य वर्ष 2012-13 में पूरा होने की संभावना है।


फिलहाल चांद पर जीवन संभव नहीं है
वै ज्ञानिक डॉ. राजमल जैन ने बताया कि चंद्रमा के पास चुंबकीय मंडल नहीं है और न ही वहां वायुमंडल है। यही बात उसे पृथ्वी से अलग करती है। इनके अभाव में वहां हाई एनर्जी की किरणों और पार्टीकल सीधे ग्रह की सतह पर आते हैं, जबकि वायुमंडल और चुंबकीय मंडल इन हाई एनर्जी पार्टीकल्स को रोक लेते हैं। पृथ्वी पर यह दोनों मौजूद हैं, इसलिए यहां जीवन संभव है।


चंद्रयान मिशन के तहत चंद्रमा पर मौजूद इन हाई एनर्जी किरणों और पार्टीकल इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन के बारे मंे स्टडी की जाएगी। इससे वहां पता लगाया जा सके कि मानव जीवन पर इनके प्रभाव को किस तरह से रोका जा सकता है। यह प्रस्ताव बनकर तैयार हो चुके हैं। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि चंद्रमा पर कौन-कौन सी जगह हैं, जहां पानी मौजूद है।
 
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