Punjab News सरकारी निगहबानी में चल रहा धंधा

शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में नशे की समस्या ज्यादा जटिल है। पंजाब सरकार सालों से कह रही है कि वो सबस्टांस ड्रग्स के ऊपर कड़ी निगरानी रख रही है, लेकिन सब कुछ यहां पेन किलर की आड़ में हो रहा है। मार्फिन वाली नशीली दवाइयां भी खुलेआम बिक रही हैं।


पंजाब हेल्थ एंड ड्रग कंट्रोलर विंग के भाग सिंह कहते हैं कि सरकार की तरफ से कड़े निर्देश हैं कि बिना डॉक्टर के पर्चे के कोई भी नशीली दवा न दी जाए।अगर कोई ऐसा करता है तो उनके लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है।
अधिकारियों के दावे अपनी जगह हैं, लेकिन सर्वे में शामिल 31 फीसदी लोगों ने ये बात कबूल की कि वो सिंथेटिक ड्रग्स की खरीद अपने गांव के मेडिकल स्टोर से ही करते हैं। स्पष्ट है कि सब कुछ सरकार की नाक के नीचे चल रहा है।


नशे के बढ़िया बाजार के चलते पंजाब के ग्रामीण और शहरी इलाकों में सिंथेटिक ड्रग्स सप्लाई करने वालों की एक चेन बन गई है। इन्हें राजनीतिक संरक्षण मिला होता है और पुलिस भी इनके खिलाफ कार्रवाई से हिचकती है। इस धंधे में ड्रग्स की बाकायदा होम डिलीवरी भी होती है। पंजाब में 11 फीसदी लोगों ने माना कि भुक्की की खेती पंजाब के गांवों में हो रही है, सरकार भले ही कुछ कह ले।


कैसे निपटें
>नशेबाजी अक्सर समूहों में होती है, पुलिस अपना इंटलिजेंस बेहतर करके इस पर अंकुश लगा सकती है।
>राज्य में ड्रग माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है, लेकिन इसके लिए सबसे पहले नशे के कारोबारियों का राजनीतिक संरक्षण बंद होना चाहिए।
>एनसीबी, डीआरआई़ और बीएसएफ को सीमावर्ती जिलों में संयुक्त अभियान चलाना चाहिए।
>नशे में फंसे लोगों के पुनर्वास को गंभीरता से लेना होगा और नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ानी होगी।


नशा करने वालों में
43 फीसदी अंडर मेट्रिक
23 फीसदी मेट्रिक पास
20 फीसदी अनपढ़
12 फीसदी 12वीं पास
2 फीसदी ग्रेजुएट
(आंकड़े सर्वे के मुताबिक)
 
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