भारत में था जुरैसिक पार्क का शिकारी डायना&#236

ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों को ऐसे सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि भयानक टी. रैक्स डायनासॉर भारत समेत दक्षिणी म
हाद्वीपों में भी पाया जाता था। इससे पहले टायरैनासॉरस रैक्स या टी. रैक्स के जीवाश्म सिर्फ उत्तरी महाद्वीपों से मिले थे, इसलिए अब तक माना जाता रहा कि ये सिर्फ उसी इलाके तक सीमित थे।

रिसर्च मैगजीन साइंस में छपे पेपर के मुताबिक, विक्टोरिया के डायनासॉर कोव में 11 करोड़ साल पुरानी एक कूल्हे की हड्डी का फॉसिल मिला है। यह टी. रैक्स के किसी पूर्वज का बताया जाता है। इस नई खोज से डायनासॉरों के विकास के इतिहास के बारे में नई जानकारी मिली है। इससे यह अहम सवाल भी उठा कि क्यों उत्तर में ही टी. रैक्स जैसे विशालकाय शिकारी पैदा हुए। इस रिसर्च टीम के सदस्य और लंदन के नैचरल हिस्ट्री म्यूजियम के डॉ. पॉल बैरट का कहना है, ऐसे में जबकि उत्तर में मिले डायनासॉरों के जीवाश्म भी दक्षिणी महाद्वीपों में दिखने लगे थे, टायरैनासॉरस की दक्षिणी इलाकों से गैर मौजूदगी अजीब लगने लगी थी। लेकिन इस खोज से पता चला है कि टायरैनासॉरस के पुरखे शुरू में ही यहां आ चुके थे। इससे यह उम्मीद भी जगी है कि अफ्रीका, साउथ अमेरिका और भारत में टी. रैक्स के जीवाश्म जरूर मिलेंगे।

फिलहाल जिस डायनासॉर की हड्डी मिली है उसका नाम रखा गया है nmv p 186069। इस हड्डी के नाप के हिसाब से पता चलता है यह टी. रैक्स तीन मीटर लंबा और 80 किलो वजनी रहा होगा। उत्तर में मिलने वाले इसके संबंधी इससे कहीं बड़े थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस समय में डायनासॉरों का विकास हो रहा होगा उस समय सभी महाद्वीप आपस में जुड़े होंगे, जमीन के एक टुकड़े की तरह, समय बीतने पर यह अलग-अलग हो गए।
 

tomarnidhi

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:thnx
 
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