Punjab News वीआईपी ड्यूटी का नाजायज फायदा अब नहीं

पंजाब पुलिस दागी कर्मचारियों को वीआईपी और वीवीआईपी की सुरक्षा की जिम्मेदारी से हटाने जा रही है। जिन पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की जांच हो रही है या अदालतों में केस चल रहे हैं, उनको अब वीआईपी की सुरक्षा में नहीं लगाया जाएगा।

इंटेलिजेंस रिपोर्टो में कहा गया है कि ऐसे पुलिस कर्मचारियों को वीआईपी ड्यूटी देना ठीक नहीं है, बल्कि उन्हें साधारण ड्यूटी पर ही तैनात किया जाए। डीजीपी कार्यालय द्वारा दागी पुलिस कर्मचारियों का रिकॉर्ड बटालियनों और जिलों से मांगा जा रहा है। पीएपी प्रशासन को विशेष तौर पर कहा गया है कि वे अपने उन कर्मचारियों का रिकॉर्ड भेजे जिन पर कोई न कोई आपराधिक मामला दर्ज है। भेजी जाने वाली सूची में संगीन अपराधों का जिक्र करने को भी कहा गया है, क्योंकि अधिकतर पीएपी के कर्मचारी ही किसी न किसी वीआईपी ड्यूटी में तैनात हैं।

इंटेलिजेंस विभाग को कुछ कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका की काफी समय से शिकायतें मिल रही हैं। इसी कारण सबसे पहले वीआईपी ड्यूटी से इन्हीं कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। इन कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज मामलों व अदालतों में चल रहे केसों का स्टेटस भी देखा जाएगा। इनमें कई कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें सस्पेंड कर दिया गया था पर कुछ महीने बाद ही पेंडिंग इन्क्वायरी के आधार पर बहाल कर दिया गया और वह दोबारा ड्यूटी करने लगे। ऐसे मामलों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी जा रही है।

वीआईपी भी कम नहीं

वीआईपी और बड़े अधिकारी खुद भी गनमैन्स को इस्तेमाल कर रहे हैं। दो साल पहले एक करोड़ 75 लाख के हीरे लूटने के मामले में पटियाला के पूर्व एसएसपी विजिलेंस शिव कुमार के बेटे के साथ उनके दो गनमैन के लिप्त होने का मामला प्रकाश में आया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार बीते दो सालों में ऐसे 12 मामले प्रकाश में आ चुके हैं।

विवादित जमीनों पर कब्जा करने के लिए गनमैन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। 2006 में इंटेलिजेंस विभाग ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि बॉडीगार्ड का इस्तेमाल बंदूक के बल पर लोन लेने और बाद में नहीं लौटाने तथा विवादित संपत्तियों पर कब्जे करने के लिए किया जाने लगा है। समय बीतते ही इस रिपोर्ट को किन्हीं कारणों से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
 
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