Palang Tod
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हम भारतीयों की एक बहुत बड़ी कमजोरी है कि हम सत्य को कभी स्वीकार नहीं कर सकते और जिनको हम महान मान लेते हैं उनके बारे में कही गई किसी भी अच्छी बुरी बात को सहन करने की हममें हिम्मत नहीं होती। कल योग गुरु स्वामी रामदेव ने गांधीजी के बारे में कुछ बात कह दी कि लोग माफ़ी मंगवाने के लिये उनके पीछे टूट पड़े।
क्यों आज भी हम यह मानने को तैयार नहीं है कि आजादी की सफ़लता का श्रेय सिर्फ़ अकेले गाँधीजी को दिया जाना गलत है, अगर वाकई सिर्फ़ गांधीजी की वजह से हमें आजादी मिलनी होती तो कई वर्षों पहले मिल गयी होती जब उन्होने असहयोग आन्दोलन शुरु किया और बाद में उसे बन्द कर दिया था। आजादी दिलवाने में सुभाष बाबू, चन्द्र शेखर, भगत सिंह और हजारों शहीदों जिनका हम नाम भी नहीं जानते, का योगदान कम नहीं है। मेरे व्यक्तिगत मत से तो भारत की आजादी में अप्रत्यक्ष रूप से द्वितीय विश्व के खलनायक हिटलर का योगदान भी कम नहीं था जिसने विश्व युद्द के दौरान ब्रिटेन की हालत इतनी खोखली कर दी कि मजबूरन अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।
अगर स्वामी रामदेव ने यह बात कही है तो इसमे कुछ भी गलत नहीं है, हमं इस बात का स्वीकार करना चाहिये कि सिर्फ़ गांधीजी को आजादी का श्रेय देने से उन हजारों शहीदों का अपमान होता है जिन्होने अपनी जानें दी। क्रान्तियाँ कभी बिना खडग और बिना ढ़ाल के नहीं मिलती, अगर सिर्फ़ गांधीजी के तरीकों से आजादी की कामना करते तो शायद आज भी हम गुलाम ही होते!
आजकल देश में एक ट्रेंड चला है जिसमें आप गांधीजी, गांधीवाद या गांधीगिरी की बात करने वालों को बुद्धिजीवी समझा जाता है और उनके बारे में कुछ भी कहने वालों को देशद्रोही जैसा समझा जाने लगा है। कांग्रेसियों के लिये तो सत्ता में आगे बढ़ने का जरिया भी है, आचरण भले ही गाँधीवादी ना हो पर बातें तो बड़ी बड़ी हाकेंगे।
क्यों आज भी हम यह मानने को तैयार नहीं है कि आजादी की सफ़लता का श्रेय सिर्फ़ अकेले गाँधीजी को दिया जाना गलत है, अगर वाकई सिर्फ़ गांधीजी की वजह से हमें आजादी मिलनी होती तो कई वर्षों पहले मिल गयी होती जब उन्होने असहयोग आन्दोलन शुरु किया और बाद में उसे बन्द कर दिया था। आजादी दिलवाने में सुभाष बाबू, चन्द्र शेखर, भगत सिंह और हजारों शहीदों जिनका हम नाम भी नहीं जानते, का योगदान कम नहीं है। मेरे व्यक्तिगत मत से तो भारत की आजादी में अप्रत्यक्ष रूप से द्वितीय विश्व के खलनायक हिटलर का योगदान भी कम नहीं था जिसने विश्व युद्द के दौरान ब्रिटेन की हालत इतनी खोखली कर दी कि मजबूरन अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।
अगर स्वामी रामदेव ने यह बात कही है तो इसमे कुछ भी गलत नहीं है, हमं इस बात का स्वीकार करना चाहिये कि सिर्फ़ गांधीजी को आजादी का श्रेय देने से उन हजारों शहीदों का अपमान होता है जिन्होने अपनी जानें दी। क्रान्तियाँ कभी बिना खडग और बिना ढ़ाल के नहीं मिलती, अगर सिर्फ़ गांधीजी के तरीकों से आजादी की कामना करते तो शायद आज भी हम गुलाम ही होते!
आजकल देश में एक ट्रेंड चला है जिसमें आप गांधीजी, गांधीवाद या गांधीगिरी की बात करने वालों को बुद्धिजीवी समझा जाता है और उनके बारे में कुछ भी कहने वालों को देशद्रोही जैसा समझा जाने लगा है। कांग्रेसियों के लिये तो सत्ता में आगे बढ़ने का जरिया भी है, आचरण भले ही गाँधीवादी ना हो पर बातें तो बड़ी बड़ी हाकेंगे।