भारतीयों को चुन-चुनकर मारना चाहते थे लश्क&#235

काबुल स्थित होटलों पर हमला करने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों का निशाना भारतीय ही थे। अफगान अधिकारियों का कहना है कि
हमलावरों को भारतीय लोगों के नाम तक पता थे। हालांकि, दक्षिण एशिया मामलों में विशेष अमेरिकी दूत रिचर्ड हॉलब्रूक ने जोर देकर कहा है कि इसे भारतीय ठिकानों पर हमला न माना जाए। हॉलब्रूक ने कश्मीर का नाम लिए बगैर उसे अफगान समस्या से जोड़ने की कोशिशों की निंदा भी की।

अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने अफगान अधिकारियों के हवाले से कहा है, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा 26 फरवरी को हुए इस हमले का कर्ताधर्ता है। इससे लश्कर की नई रणनीति का पता चलता है जिसके तहत अब वह भारत के बाहर भी भारतीयों को निशाना बनाने लगा है। गौरतलब है कि 26/11 के हमलों के लिए भी लश्कर को ही जिम्मेदार बताया जाता है।

अफगान इंटेलिजेंस के प्रवक्ता सैयद अंसारी का कहना है कि हमें जल्द ही ऐसे सबूत मिलने वाले हैं जो साबित कर देंगे कि यह काम अफगान तालिबान का नहीं बल्कि पाक सेना पर निर्भर रहने वाले लश्कर-ए-तैयबा का है। इस हमले में शामिल एक हमलावर तो चिल्ला रहा था, कहां है भारतीय डायरेक्टर। बाकी के आतंकवादी भी भारतीयों को ही ढूंढ रहे थे। अंसारी के मुताबिक, भारतीयों के बारे में इस तरह की जानकारी अफगान तालिबान के पास नहीं हो सकती।

अखबार लिखता है कि काबुल में मौजूद अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना है कि हमले के पीछे हक्कानी गुट का हाथ है, जो पाकिस्तान स्थित अफगान आतंकवादी गुट है। दूसरी तरफ भारतीय सूत्र मानते हैं कि इसमें दोनों गुटों की साठगांठ है। दरअसल, लश्कर के हमलों में शामिल होने के दुष्परिणाम भारत-पाक वार्ता पर पड़ सकते हैं।

इस मामले में जब हॉलब्रूक से पूछा गया तो उन्होंने कहा, यह कहना जल्दबाजी होगा कि हमले का निशाना भारतीय थे। यह हमला सॉफ्ट टारगेट पर था। इसके शिकार विदेशी थे, गैरभारतीय विदेशी भी। हालांकि, हॉलब्रूक ने अफगानिस्तान में स्थायित्व लाने के अमेरिकी प्रयासों को कश्मीर से जोड़ने की पाकिस्तानी कोशिश को नकार दिया। उन्होंने कश्मीर का नाम लिए बगैर कहा, जो लोग उस इलाके को अफगानिस्तान में स्थायित्व से जोड़कर देखने की वकालत करते हैं दरअसल वे इस कदम से अफगानिस्तान में शांति लाने के उलट काम कर रहे हैं।
 
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