Palang Tod
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अमेरिका को भारत की बढ़ती ताकत से चुनौती महसूस होने लगी है, यह बात एक बार फिर साबित हुई है। ओबामा ने कहा है कि हमें भारत से कड़े कॉम्पिटिशन का सामना करना पड़ रहा है। अगर भारत में इसी तरह अमेरिका से ज्यादा साइंटिस्ट और इंजीनियर बनते रहे तो हम उससे पिछड़ जाएंगे।
ओबामा ने कहा, 'मैंने यह बात स्टेट ऑफ यूनियन भाषण के दौरान भी कही थी, मैं फिर कह रहा हूं कि दूसरे देश सेकंड पोजिशन पर आने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, वे नंबर वन बनने की दौड़ में हैं। ऐसा क्यों है कि बाकी देश अपनी टूरिजम इंडस्ट्री को प्रमोट कर रहे हैं जबकि अमेरिका पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा? यह उस कॉम्पिटिशन का सिर्फ एक उदाहरण है, जिसका हम हर मोर्चे पर सामना कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी अमेरिकी इसे गंभीरता से लेंगे और पुरानी नाकामियों से सबक लेकर आगे बढ़ते हुए एक ऐसा देश बनाएंगे, जो ज्यादा समृद्ध होगा।'
ओबामा अमेरिकी नौजवानों को प्रेरित करने के लिए कई बार भारत की एजुकेशन, आउटसोर्सिंग और आर्थिक सुधारों में महारत का हवाला दे चुके हैं। गुरुवार को भी उन्होंने कहा था कि भारत, चीन और जर्मनी जैसे देश क्लीन एनर्जी टेक्नॉलजी समेत तमाम मामलों में आगे बढ़ रहे हैं। वर्ल्ड लीडर होने के नाते अमेरिका पिछड़ना गवारा नहीं कर सकता। हमें ऐसी कोशिश करनी होगी कि दूसरे देश भविष्य में अमेरिका को पीछे न छोड़ पाएं। हम जानते हैं कि क्लीन एनर्जी रिवॉल्यूशन में जो लीड करेगा, 21वीं सदी में उसी इकॉनमी का दबदबा होगा।
अमेरिकी प्रेजिडेंट का कहना था कि सुधारों को लेकर हमें लोगों को एकजुट करने और आम सहमति बनाने की जरूरत है। जो देश आज एजुकेशन में हमसे आगे निकाल रहे हैं, वह कल हमें कॉम्पिटिशन में पीछे छोड़ देंगे। हम अपने नौजवानों के लिए ऐसा भविष्य नहीं चाहते। हम उन्हें जिंदगी भर कम सैलरी पाने और अपने ख्वाबों को पूरा न कर पाने की सजा नहीं दे सकते।
डर, जो छिपाए नहीं छिपता
एजुकेशन: ओबामा कई बार कह चुके हैं कि इंडियन स्टूडेंट्स ज्यादा स्मार्ट और मेहनती हैं। यह बात अमेरिकी स्कूलों में भी देखी गई है।
जॉब: आउटसोर्सिंग यानी अमेरिकी जॉब भारत शिफ्ट हो जाने से ओबामा खासे परेशान हैं। पिछले प्रेजिडेंट जॉर्ज बुश ने इससे समझौता कर लिया था, लेकिन ओबामा सख्त कदम उठाने के मूड में हैं।
इकॉनमी: स्टेट ऑफ यूनियन भाषण में ओबामा ने कहा था, भारत जैसे देश तेजी से बदलाव ला रहे हैं, अमेरिका उनसे पिछड़ना गवारा नहीं कर सकता।
ओबामा ने कहा, 'मैंने यह बात स्टेट ऑफ यूनियन भाषण के दौरान भी कही थी, मैं फिर कह रहा हूं कि दूसरे देश सेकंड पोजिशन पर आने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, वे नंबर वन बनने की दौड़ में हैं। ऐसा क्यों है कि बाकी देश अपनी टूरिजम इंडस्ट्री को प्रमोट कर रहे हैं जबकि अमेरिका पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा? यह उस कॉम्पिटिशन का सिर्फ एक उदाहरण है, जिसका हम हर मोर्चे पर सामना कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी अमेरिकी इसे गंभीरता से लेंगे और पुरानी नाकामियों से सबक लेकर आगे बढ़ते हुए एक ऐसा देश बनाएंगे, जो ज्यादा समृद्ध होगा।'
ओबामा अमेरिकी नौजवानों को प्रेरित करने के लिए कई बार भारत की एजुकेशन, आउटसोर्सिंग और आर्थिक सुधारों में महारत का हवाला दे चुके हैं। गुरुवार को भी उन्होंने कहा था कि भारत, चीन और जर्मनी जैसे देश क्लीन एनर्जी टेक्नॉलजी समेत तमाम मामलों में आगे बढ़ रहे हैं। वर्ल्ड लीडर होने के नाते अमेरिका पिछड़ना गवारा नहीं कर सकता। हमें ऐसी कोशिश करनी होगी कि दूसरे देश भविष्य में अमेरिका को पीछे न छोड़ पाएं। हम जानते हैं कि क्लीन एनर्जी रिवॉल्यूशन में जो लीड करेगा, 21वीं सदी में उसी इकॉनमी का दबदबा होगा।
अमेरिकी प्रेजिडेंट का कहना था कि सुधारों को लेकर हमें लोगों को एकजुट करने और आम सहमति बनाने की जरूरत है। जो देश आज एजुकेशन में हमसे आगे निकाल रहे हैं, वह कल हमें कॉम्पिटिशन में पीछे छोड़ देंगे। हम अपने नौजवानों के लिए ऐसा भविष्य नहीं चाहते। हम उन्हें जिंदगी भर कम सैलरी पाने और अपने ख्वाबों को पूरा न कर पाने की सजा नहीं दे सकते।
डर, जो छिपाए नहीं छिपता
एजुकेशन: ओबामा कई बार कह चुके हैं कि इंडियन स्टूडेंट्स ज्यादा स्मार्ट और मेहनती हैं। यह बात अमेरिकी स्कूलों में भी देखी गई है।
जॉब: आउटसोर्सिंग यानी अमेरिकी जॉब भारत शिफ्ट हो जाने से ओबामा खासे परेशान हैं। पिछले प्रेजिडेंट जॉर्ज बुश ने इससे समझौता कर लिया था, लेकिन ओबामा सख्त कदम उठाने के मूड में हैं।
इकॉनमी: स्टेट ऑफ यूनियन भाषण में ओबामा ने कहा था, भारत जैसे देश तेजी से बदलाव ला रहे हैं, अमेरिका उनसे पिछड़ना गवारा नहीं कर सकता।