Punjab News बाबा जी की जेब में है अफीम खाने का लाइसेंस

बाबा जी की ‘टौर’ है। दूसरे अफीमचियों की तरह उन्हें अफीम चोरी छुपे या ब्लैक में नहीं खरीदनी पड़ती। सीना ठोंक कर हर महीने लुधियाना सिविल अस्पताल जाते हैं और ‘सौदा पत्ता’ ले आते हैं। जेब में अफीम पड़ी हो तो वे पुलिस नाके से डरते नहीं बल्कि जेब से परमिट निकालकर दिखा देते हैं।


जी हां, सरकारी परमिट और वह भी अफीम खाने का। राशन, चीनी व मिट्टी के तेल का कोटा तो आपने सुना होगा लेकिन उन्हें हर महीने अफीम का कोटा लगा है। वह भी सिर्फ ढाई रुपये प्रति ग्राम की मामूली कीमत पर। खासी खुर्द के रुल्दा सिंह (काल्पिनक नाम) की उम्र 92 साल है। उम्र जवाब दे चुकी है। अच्छी तरह से चल फिर नहीं पाते, लेकिन हर महीने अफीम लेकर जाना नहीं भूलते। एक पूर्व विधायक की उम्र 93 साल हो चुकी है लेकिन जवानी में लगी यह लत उम्र के आखिरी पड़ाव में आकर भी पीछा नहीं छोड़ रही। दशमेश नगर के इंद्र सिंह (काल्पनिक नाम) को दस ग्राम अफीम का कोटा लगा हुआ है।


सरकार क्यों किसी को अफीम देगी और वह भी सस्ती? पर यह सच है, शहर में एक दो नहीं बल्कि 2-5 बुजुर्गो के पास अफीम खाने की सरकारी मंजूरी है। सिविल अस्पताल में हर महीने एक्साइज डिपार्टमंेट से दो सौ ग्राम अफीम मंगाकर इन परमिट होल्डरों को दी जाती है। सभी परमिट होल्डरों की उम्र 70 साल से ज्यादा है। असल में यह एक बरसों पुरानी स्कीम है, जिसका फायदा कुछ अफीमचियों को आज भी मिल रहा है।


स्कीम के तहत पंजाब ओपियम प्रोबेशन रूल्स 1959 के तहत नशे के अभ्यस्त लोगों को अफीम के लाइसेंस दिए जाते थे। उन दिनों लुधियाना में सैंकड़ों लोगों का कोटा तय था। दो दशक पहले स्कीम पर पुनर्विचार हुआ। सरकार का मानना था कि नशे की लत को उत्साहित नहीं करना चाहिए, इसलिए लाइसेंस बनाने बंद कर दिए जाएं, लेकिन जिन लोगों के लाइसेंस बन चुके थे, उन्हें सप्लाई जारी रखने का फैसला हुआ। सरकार का मानना था कि जिन्हें लत लग चुकी है, उन्हें कोटा नहीं मिला तो खतरा हो सकता है।


थरीके के बुजुर्ग के पास 50 ग्राम का कोट :
लाइसेंस होल्डरों को हर साल सिविल सर्जन दफ्तर पेश होना पड़ता है, जहां मेडिकल बोर्ड उनका चेकअप करता है, जिसके बाद उनका परमिट रिन्यू किया जाता है। सीएस आफिस से यह लिस्ट एक्साइज डिपार्टमेंट को भेज दी जाती है, जहां से हर महीने अफीम की सप्लाई आती है। सिविल अस्पताल के कर्मचारी बताते हैं कि तय तारीख पर पिछले हफ्ते ही लुधियाना में लाइसेंस रिन्यू हुए हैं, जिसके मुताबिक अब जिले में सिर्फ 25 परमिट होल्डर रह गए हैं, बाकी की मौत हो चुकी है। लुधियाना में सबसे अधिक 50 ग्राम कोटा थरीके निवासी एक 72 वर्षीय बुजुर्ग को लगा हुआ है।
 
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