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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में एक विशेष अदालत ने आतंकवादी परमजीत सिंह भिओरा को उम्रकैद की सजा
सुनाई है। भिआरो प्रतिबंधित गुट बब्बर खालसा इंटरनैशनल का प्रमुख है। यह हत्या 14 साल पहले हुई थी।
अडिशनल डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशन जज आर. के. सोंधी ने यह सजा सुनाई। भिओरा को 1997 में गिरफ्तार किया गया था। उसे आपराधिक साजिश रचने और 31 अगस्त 1995 को हाई सिक्युरिटी वाले पंजाब सचिवालय परिसर में हुए कार बम विस्फोट में बेअंत सिंह की हत्या के मामले में शामिल पाया गया था।
भिओरा के वकील अरविंद ठाकुर ने उच्च सुरक्षा वाली बुड़ैल जेल के बाहर बताया कि वह इस फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेंगे। इस मामले की सुनवाई इसी जेल में बनी अस्थाई अदालत में हुई थी। सीबीआई ने इस मामले में नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
जगतार सिंह हवारा और बलवंत सिंह को 2007 में मौत की सजा सुनाई गई थी। दूसरे अभियुक्तों गुरमीत सिंह, लखविंदर सिंह और शमशेर सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इस केस की सुनवाई पर उस समय विराम लग गया जब जनवरी 2004 में तीन अभियुक्त हवारा, जगत सिंह तारा और भिओरा 100 फुट लंबी सुरंग खोदकर बुड़ैल जेल से भाग निकले थे। फरवरी 2004 में हवारा और भिओरा पकड़े गए और केस की सुनवाई फिर से शुरू हुई। हालांकि तारा को नहीं पकड़ा जा सका।
बुड़ैल जेल की विशेष अदालत को सीबीआई ने बताया कि भिओरा ने एक अन्य संदिग्ध जगतार सिंह तारा को सचिवालय परिसर के अंदर विस्फोट करने में इस्तेमाल की गई कार को लाने में मदद की थी। नई दिल्ली में 2006 में फिर से गिरफ्तारी के बाद अदालत के आदेश पर भिओरा का मुकदमा अलग कर दिया गया था। नसीब सिंह को 10 हजार रुपये के जुर्माने के साथ ही 10 साल की कैद की सजा सुनायी गई लेकिन उसे रिहा कर दिया गया क्योंकि वह इतनी सजा पहले ही काट चुका था। नवजोत सिंह को बरी कर दिया गया।
सुनाई है। भिआरो प्रतिबंधित गुट बब्बर खालसा इंटरनैशनल का प्रमुख है। यह हत्या 14 साल पहले हुई थी।
अडिशनल डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशन जज आर. के. सोंधी ने यह सजा सुनाई। भिओरा को 1997 में गिरफ्तार किया गया था। उसे आपराधिक साजिश रचने और 31 अगस्त 1995 को हाई सिक्युरिटी वाले पंजाब सचिवालय परिसर में हुए कार बम विस्फोट में बेअंत सिंह की हत्या के मामले में शामिल पाया गया था।
भिओरा के वकील अरविंद ठाकुर ने उच्च सुरक्षा वाली बुड़ैल जेल के बाहर बताया कि वह इस फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेंगे। इस मामले की सुनवाई इसी जेल में बनी अस्थाई अदालत में हुई थी। सीबीआई ने इस मामले में नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
जगतार सिंह हवारा और बलवंत सिंह को 2007 में मौत की सजा सुनाई गई थी। दूसरे अभियुक्तों गुरमीत सिंह, लखविंदर सिंह और शमशेर सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इस केस की सुनवाई पर उस समय विराम लग गया जब जनवरी 2004 में तीन अभियुक्त हवारा, जगत सिंह तारा और भिओरा 100 फुट लंबी सुरंग खोदकर बुड़ैल जेल से भाग निकले थे। फरवरी 2004 में हवारा और भिओरा पकड़े गए और केस की सुनवाई फिर से शुरू हुई। हालांकि तारा को नहीं पकड़ा जा सका।
बुड़ैल जेल की विशेष अदालत को सीबीआई ने बताया कि भिओरा ने एक अन्य संदिग्ध जगतार सिंह तारा को सचिवालय परिसर के अंदर विस्फोट करने में इस्तेमाल की गई कार को लाने में मदद की थी। नई दिल्ली में 2006 में फिर से गिरफ्तारी के बाद अदालत के आदेश पर भिओरा का मुकदमा अलग कर दिया गया था। नसीब सिंह को 10 हजार रुपये के जुर्माने के साथ ही 10 साल की कैद की सजा सुनायी गई लेकिन उसे रिहा कर दिया गया क्योंकि वह इतनी सजा पहले ही काट चुका था। नवजोत सिंह को बरी कर दिया गया।