बदल जाएगा टीवी देखने का अंदाज

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बदल जाएगा टीवी देखने का अंदाज



भारत में टेलिविजन की दुनिया एक नए युग में प्रवेश करने जा रही है। 1 जुलाई से दिल्ली समेत चारों महानगरों के घरों में जो भी टीवी हैं , वे डिजिटल तकनीक से लैस होंगे। ऐसे में एक आम उपभोक्ता के लिए क्या बदलेगा ? उसे क्या करना होगा ? क्या उस पर कोई नया खर्च पड़ेगा ? ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब पेश कर रहे हैं :

टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( ट्राई ) के निर्देशों के मुताबिक , 30 जून 2012 को चारों महानगरों दिल्ली , मुंबई , कोलकाता और चेन्नै ऐनालॉग टेलिविजन प्रसारणों को अलविदा कह देंगे। अगर आप इनमें से किसी भी महानगर में रहते हैं और केबल टीवी कनेक्शन इस्तेमाल करते हैं , तो 1 जुलाई 2012 से आपका टीवी देखने का तौर - तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। अब आपको डिजिटल प्रसारणों को अपनाना ही है , भले ही आप चाहें या न चाहें। 31 दिसंबर 2014 तक पूरे भारत में ऐनालॉग प्रसारणों का सिलसिला खत्म हो जाएगा। हर आम और खास का टीवी डिजिटल तकनीक से लैस होगा। इतने बड़े देश में हर टीवी को ऐनालॉग से डिजिटल की तरफ ले जाने की प्रक्रिया आसान नहीं हो सकती। खैर वह सरकार और ट्राई की चिंता का मुद्दा है। फिलहाल आम आदमी की चिंता यह है कि उसे करना क्या है ? क्या उस पर कोई आर्थिक बोझ पड़ने जा रहा है ? क्या उसे मिलने वाली सेवाएं बेहतर होने जा रही हैं ? क्या उसे कुछ नया खरीदना पड़ेगा ?

क्या बदल जाएगा
यह बदलाव केबल टेलिविजन नेटवर्क्स ( रेग्युलेशन ) संशोधन बिल 2011 के जरिए आ रहा है , जिसमें केबल टीवी ऑपरेटरों के लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि वे अपने उपभोक्ताओं तक टेलिविजन के सिग्नल एक एनक्रिप्टेड डिजिटल फॉर्मैट में भेजेंगे। इसके लिए हर केबल टीवी होम में एक सेट टॉप बॉक्स लगाना जरूरी होगा।

यह तो हुई तकनीकी और कानूनी बात। अब इसे सीधे शब्दों में समझते हैं। अगर आप केबल ऑपरेटर द्वारा दी गई गोल तार ( कोएक्सियल केबल ) को सीधे टीवी से कनेक्ट कर टीवी देखते हैं तो वह तरीका अब नहीं चलेगा। वह टेलिविजन प्रसारणों का ऐनालॉग तरीका है जो अब पुराना पड़ चुका है। अब आपको डिजिटल सिग्नल रिसीव करने में सक्षम एक सेट टॉप बॉक्स खरीदना होगा जो आप अपने केबल ऑपरेटर से भी ले सकते हैं और डिश या एयरटेल जैसी किसी डीटीएच कंपनी से भी। आपका सेट टॉप बॉक्स इन सर्विस प्रवाइडर्स के जरिए मिलने वाले डिजिटल सिग्नल को रिसीव करेगा और उन्हें आपके टेलिविजन तक भेजेगा।

पहले आपका केबल ऑपरेटर आपको सिर्फ एक गोल केबल देता था , जिसे आप सीधे अपने टीवी में लगाते थे। अब वही केबल ऑपरेटर आपको एक नए किस्म का कनेक्शन देगा जिसके साथ एक सेट टॉप बॉक्स भी आएगा। वह सेट टॉप बॉक्स आपको अपने टेलिविजन से कनेक्ट करना है। बस !

क्या करना होगा
टीवी प्रोग्राम देखते रहने के लिए अब आपको किसी डिजिटल सर्विस को सबस्क्राइब करना होगा। अगर आपको लगता है कि इस बदलाव से केबल ऑपरेटरों का काम बंद हो जाएगा , तो ऐसा नहीं है। पहले वे ऐनालॉग सर्विस मुहैया कराते थे , अब डिजिटल सर्विस मुहैया कराने लगेंगे। फर्क यह है कि उनका पूरा ढांचा , पूरा हार्डवेयर बदल जाएगा। ये केबल ऑपरेटर किसी बड़ी कंपनी , जिसे मल्टि सर्विस ऑपरेटर कहते हैं , से जुड़े होते हैं जो उन तक टेलिविजन प्रोग्राम के सिग्नल भेजती है। इन बड़ी कंपनियों को अब शहर भर में फैले अपने तारों में बदलाव करना होगा और डिजिटल सिग्नल प्रसारित करने में सक्षम तार ( जैसे ऑप्टिकल फाइबर केबल ) बिछाने होंगे। आपका केबल ऑपरेटर इन्हीं तारों के जरिए सिग्नल रिसीव करेगा और उन्हें आप जैसे कस्टमर्स को भेज देगा। लेकिन इन सिग्नलों को आपका टीवी सीधे रिसीव नहीं कर सकता , इसलिए आपको एक सेट टॉप बॉक्स लेना पड़ेगा। महानगरों में बहुत से लोग पहले से ही डिजिटल सेट टॉप बॉक्स या डायरेक्ट टु होम सर्विस ( डिश अन्टीना के जरिए या फिर आईपी टीवी के जरिए ) का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है। ऐनालॉग प्रसारणों का इस्तेमाल कर रहे देश के करीब 13 करोड़ टेलिविजन सेट्स पर ही यह बदलाव लागू होगा।

डीटीएच और दूसरे विकल्प
ट्राई को सिर्फ इससे मतलब है कि आप डिजिटल टीवी सिग्नल रिसीव कर रहे हैं। अगर आप केबल ऑपरेटर से मुक्ति पाना हैं तो डीटीएच कंपनियों की शरण ले सकते हैं। इन कंपनियों में डिश टीवी , टाटा स्काई , सन डायरेक्ट , एयरटेल डिजिटल टीवी , वीडियोकॉन डी 2 एच और रिलायंस डिजिटल टीवी शामिल हैं। अप्रैल में ट्राई की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक , देश में करीब 4.4 करोड़ लोग पहले ही डायरेक्ट टु होम सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तरह की सेवा लेने पर एक डिश , एक सेट टॉप बॉक्स और जरूरी केबल मुहैया कराई जाती हैं। डिश को आपके घर के किसी खुले कोने या छत पर लगाया जाता है ताकि वह सैटेलाइट के जरिए टीवी कार्यक्रमों के डिजिटल सिग्नल रिसीव कर सके। डिश से इन सिग्नलों को सेट टॉप बॉक्स तक भेजा जाता है जो टीवी सेट से जुड़ा रहता है। फर्क यह है कि केबल ऑपरेटर के जरिए मिलने वाली सर्विस में सेट टॉप बॉक्स उसके जरिए मुहैया कराई गई केबल से सिग्नल रिसीव करता है , जबकि डीटीएच प्रणाली में वह डिश से सिग्नल रिसीव करता है। दोनों ही डिजिटल सिग्नल हैं।

मासिक सबस्क्रिप्शन
डिजिटल प्रसारण में दो तरह के टेलिविजन चैनल आते हैं - फ्री टु एयर और पेड। पहली कैटिगरी के चैनलों को देखने के लिए सबस्क्राइबर को कोई भी रकम नहीं देनी होती। इनमें दूरदर्शन के सभी चैनल तो होते ही हैं , ऐसे सैकड़ों दूसरे चैनल भी शामिल होते हैं जो नए होने के कारण या फिर ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचने की इच्छा के कारण कोई फीस नहीं लेना चाहते।

ऐसे चैनल आपके डिजिटल कनेक्शन में पहले से शामिल होते हैं। दूसरी कैटिगरी के चैनल पेड तरह के होते हैं , जिन्हें दिखाने के लिए प्रति चैनल पांच रुपये या सात रुपए जैसी मासिक फीस ली जाती है। ऐसे चैनल एक समूह या बास्केट के रूप में भी मिलते हैं , जैसे स्पोर्ट्स बास्केट या एंटरटेनमेंट बास्केट। आप अपनी पसंद की एक या ज्यादा बास्केट चुन सकते हैं और उसी के लिहाज से आपका महीने का बिल आएगा। लेकिन इन सबके अलावा आपको एक अनिवार्य बेस सबस्क्रिप्शन का भी भुगतान करना होता है , जैसे एयरटेल डिजिटल टीवी अपने ग्राहकों से 158 रुपये महीना लेता है। यह पैमाना दोनों तरह की सेवाओं ( केबल ऑपरेटर द्वारा दिए गए सेट टॉप बॉक्स सर्विस और डीटीएच ) पर लागू होता है।

अगर पड़े घर बदलना
अगर आपने केबल ऑपरेटर के जरिए सेट टॉप बॉक्स लिया हुआ है तो घर बदलते समय आपको मुश्किल होगी क्योंकि ज्यादातर इलाकों में केबल ऑपरेटर पुराने कनेक्शन को ऐक्टिव करने को तैयार नहीं होते। वे नया कनेक्शन लेने पर ही जोर देते हैं , लेकिन अगर आपके पास डीटीएच ( डिश के जरिए कनेक्शन ) है तो भारत में कहीं भी घर बदलने पर आप कनेक्शन ट्रांसफर करा सकते हैं। कनेक्शन लेते वक्त होने वाले एकमुश्त खर्च से बच सकेंगे।

कौन - सा कनेक्शन बेहतर
केबल ऑपरेटर के जरिए लिए जाने वाले कनेक्शन और डीटीएच दोनों की अच्छाइयां और बुराइयां हैं। डीटीएच आपको प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों तरह के कनेक्शन लेने की सुविधा देता है। ऑनलाइन पेमेंट करने , ऑनलाइन चैनलों को सिलेक्ट करने जैसी सुविधाएं भी साथ मिलती हैं। छोटी - बड़ी समस्या की हालत में आप बार - बार केबल ऑपरेटर को कॉल करने और उसकी ढिलाई के कारण परेशान होते रहने को मजबूर नहीं रहते , लेकिन डीटीएच प्रसारण उपग्रहों पर निर्भर हैं और मौसम की खराबी होने पर उनमें थोड़ी - बहुत रुकावट आ सकती है। आंधी - तूफान के समय डिश के हिलने या खिसकने की हालत में इंजिनियर की मदद लेने में समय लग सकता है। डीटीएच किराए के मकान में रहने वालों को बार - बार होने वाले हार्डवेयर के खर्च से बचाता है क्योंकि उसका कनेक्शन आसानी से ट्रांसफर हो जाता है।

एक से ज्यादा कनेक्शन
अगर आपके घर में एक से ज्यादा टीवी सेट हैं तो आप एक्स्ट्रा कनेक्शन ले सकते हैं। ज्यादातर डीटीएच कंपनियां रियायती दरों पर मल्टी टीवी कनेक्शन सुविधा उपलब्ध कराती हैं। हर एक्स्ट्रा कनेक्शन पर टाटा स्काई 160 रुपये महीना और एयरटेल 145 रुपए महीना चार्ज लेती है। इसके तहत ठीक वही चैनल उपलब्ध होते हैं जो आपने अपने मेन कनेक्शन के लिए चुने हैं। रिलायंस इसे अलग ढंग से तय करता है। वहां हर अतिरिक्त कनेक्शन के लिए मूल कनेक्शन की आधी रकम या 150 रुपए ( जो भी ज्यादा हो ) की रकम ली जाती है।

कहां मिलेगा डिजिटल बॉक्स
अगर आप अपने केबल ऑपरेटर की सेवाओं और उसकी नई दरों से संतुष्ट हैं तो आप उसी से संपर्क कर डिजिटल टीवी कनेक्शन ले सकते हैं। सेट टॉप बॉक्स पर 700 रुपये से दो 2000 रुपए तक की लागत आएगी। आप चाहें तो इसके लिए एकमुश्त भुगतान कर सकते हैं और चाहें तो थोड़ा डाउन पेमेंट देकर बाकी भुगतान किश्तों में कर सकते हैं। आप आगे भी केबल ऑपरेटर को मासिक सबस्क्रिप्शन का भुगतान करते रहेंगे लेकिन अब उसका तरीका बदल जाएगा। अब यह भुगतान एक निश्चित रकम न होकर आपके द्वारा देखे जाने वाले चैनलों की संख्या पर निर्भर करेगा।

केबल ऑपरेटरों पर नियमों का घेरा
केबल ऑपरेटरों को ये नियम मानने होंगे , बशर्ते उस इलाके में डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो।
-डिजिटलाइजेशन के बाद केबल आपरेटरों को उपभोक्ताओं की शिकायतों को आठ घंटे के भीतर सुलझाना होगा।
-हर मल्टी सर्विस ऑपरेटर ( एमएसओ ) और लोकल केबल ऑपरेटर ( एलसीओ ) को शिकायतों पर आगे कार्रवाई के लिए एक नोडल ऑफिसर भी नियुक्त करना होगा। अगर कस्टमर अपनी शिकायत के हल से संतुष्ट नहीं है तो वह संबंधित ऑपरेटर के नोडल ऑफिसर से संपर्क कर सकेगा।
-मएसओ और एलसीओ को अपने इलाके में एक शिकायत केंद बनाना होगा , जहां वे कस्टमर्स की शिकायतें लेंगे और उन्हें सुलझाएंगे। कस्टमर शिकायत केंद के नंबर की जानकारी सबको देनी होगी।
-एमएसओ और एलसीओ को वेब आधारित शिकायत निगरानी सिस्टम भी बनाना होगा , जहां कस्टमर को अपनी शिकायतों पर हुई कार्रवाई का पता चलेगा।
-अगर ऑपरेटर डिजिटल सेवा डिसकनेक्ट करेंगे तो उन्हें उपभोक्ता को 15 दिन का नोटिस देना होगा।
-केबल ऑपरेटरों को अपने कस्टमर्स को एक मैनुअल ( विवरण पुस्तिका ) देना होगा , जिसमें हिंदी , अंग्रेजी और संबंधित राज्य की भाषा में सेवाओं के इस्तेमाल की जानकारी होगी।
-कस्टमर्स को सभी चैनल ( पेड और फ्री टु एअर ) आ - ला - कार्टे ( इस्तेमाल के आधार पर चार्ज ) के आधार पर मुहैया कराए जाएंगे।
-बेसिक सर्विस के रूप में कम - से - कम 100 फ्री टु एयर चैनल मुहैया कराना जरूरी होगा , जिनमें हिंदी , अंग्रेजी और संबंधित क्षेत्र की भाषा के कम - से - कम पांच - पांच चैनल जरूर होने चाहिए।
-हर ऑपरेटर दूरदर्शन के 18 चैनल और लोकसभा चैनल भी ( फ्री ) मुहैया कराएगा।
-सौ फ्री टु एयर चैनलों के बेसिक सर्विस टियर पैकेज के लिए मासिक सौ रुपए से ज्यादा नहीं लिए जा सकेंगे।
-केबल ऑपरेटरों को डिजिटल सिग्नल मुहैया कराने वाले मल्टी सर्विस ऑपरेटरों को जनवरी 2013 से कम - से - कम 500 चैनल मुहैया कराने पड़ेंगे।
-किसी भी बास्केट या बकेट के तहत आने वाले चैनलों ( जैसे स्पोर्ट्स या एंटरटेनमेंट ) को अकेले सबस्क्राइब करने ( आ ला कार्टे ) का चार्ज बास्केट के सदस्य के रूप में उसके लिए होने वाले चार्ज के डेढ़ गुना से ज्यादा नहीं हो सकता। मिसाल के तौर पर अगर आपने स्पोर्ट्स बकेट लिया हुआ है जिसके लिए कुल 40 रुपए लगते हैं और उसमें टेन स्पोर्ट्स भी शामिल है , जिसके लिए आपसे दस रुपए लिए जा रहे हैं। अगर कोई स्पोर्ट्स का पूरा बकेट लिए बिना सिर्फ टेन स्पोर्ट्स लेना चाहता है तो उसकी मासिक दर 15 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती।

iptv का अनुभव
- भारत में आईपी टीवी सन 2006 में ही लॉन्च हो गया था लेकिन आज भी लोगों को इसके बारे में जानकारी कम और गलतफहमियां ज्यादा हैं।
- अगर आप डिजिटल सेट टॉप बॉक्स या डीटीएच से एक कदम आगे बढ़कर अपने सभी कम्यूनिकेशन को सिंगल माध्यम से रिसीव और मैनेज करना पसंद करते हैं , तो आईपी टीवी से बेहतर विकल्प नहीं हो सकता।
- इसमें सिर्फ टीवी सिग्नल ही नहीं होते , बल्कि टेलिफोन और इंटरनेट सर्विस भी होती हैं। सबका बिल भी एक। तारों का झंझट खत्म तो अलग - अलग बिल जमा कराने का भी।
-खर्च थोड़ा ज्यादा , लेकिन यह अखरता नहीं है।
-इसमें डेटा के सिग्नल डिजिटल फॉर्मैट में ही होते हैं लेकिन उन्हें पारंपरिक माध्यमों की तरह एंटीना , केबल या उपग्रह के जरिए नहीं भेजा जाता। उन्हें भेजने के लिए वही तरीका इस्तेमाल होता है जो इंटरनेट ब्रॉडबैंड के लिए होता है यानी एक खास केबल के जरिए।
-सिग्नल भेजने के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल ( आईपी ) का इस्तेमाल होता है इसलिए यह दूसरे माध्यमों के मुकाबले ज्यादा ताकतवर माध्यम है।
-एक अहम खासियत है इसकी इंटरऐक्टिविटी यानी दर्शक सिर्फ सिग्नल रिसीव ही नहीं करता , बल्कि भेज भी सकता है।
-उपभोक्ता को तीन तरह की टीवी सर्विसेज मिलती हैं - लाइव टीवी , टाइम शिफ्ट टीवी और विडियो ऑन डिमांड। लाइव टीवी तो सब जानते हैं। टाइम शिफ्ट टीवी का मतलब है , रिकॉर्डेड प्रोग्राम को देखने की सुविधा। तमाम चैनलों के सात दिन के सभी प्रोग्राम रिकॉर्डेड रहते हैं। बस फुरसत वाले दिन एक बार सभी रिकॉर्डेड चैनलों पर नजर डाल सकते हैं।
-आईपी टीवी में पिक्चर क्वॉलिटी डीटीएच की तुलना में थोड़ी कम हो सकती है क्योंकि इसका ट्रांसमिशन बैंडविड्थ पर निर्भर करता है , लेकिन यह अंतर आपको शायद ही महसूस हो।
-डीटीएच के उलट आईपी टीवी मौसम संबंधी समस्याओं से प्रभावित नहीं होता। छतरी घूम जाने की भी समस्या नहीं। टेलिफोन और इंटरनेट कनेक्शन भी सामान्य ढंग से ही काम करते हैं। डिजिटल फॉर्मैट होने के कारण आईपी टीवी ट्राई के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक है।
 
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