फिर दांव पर लग सकती है किसी करकरे की जिंदगी

अर्द्धसैनिक बलों के लिए खरीदे गए बुलेटप्रूफ जैकेटों को परखने में पुराने तरीके अपनाए जाने स
े पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग गया है। बुलेटप्रूफ जैकेट की खरीददारी में धांधली के आरोप के बाद गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने इसे रद्द करने का आदेश दिया था।

उल्लेखनीय है कि सीआरपीएफ के लिए 59 हजार बुलेटप्रूफ जैकेट खरीद के दौरान इसके चयन की जिम्मेदारी चंडीगढ़ स्थित डीआरडीओ की लैब स्पार्क रेंज को सौंपी गई थी। सूत्रों के मुताबिक, बुलेटप्रूफ जैकिट सप्लाई करने की होड़ में नौ कंपनियां शामिल हैं। 26/11 के मुंबई हमलों के दौरान एटीएस प्रमुख करकरे की बुलेटप्रूफ जैकेट पहनने के बावजूद आतंकवादी की गोली लगने से मौत के बाद चिदंबरम ने जैकेटों को दोबारा टेस्ट करने के आदेश दिए थे।

लेकिन रक्षा सूत्रों का कहना है कि परीक्षण में वे ही तकनीकी अधिकारी शामिल हैं जिन्हें पहले दौर के परीक्षण में जिम्मेदारी दी गई थी। आरोप है कि कुछ खास कंपनियों के बुलेटप्रूफ जैकेट को बेहतर सिद्ध करने के लिए दूसरी कंपनियों के बुलेटप्रूफ जैकेट को पहले अत्यधिक तापमान दिखाने के बाद उस पर बुलेट चला कर टेस्ट किया जा रहा है। इस वजह से कुछ जैकेट कसौटी पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं।

बुलेटप्रूफ जैकेट पहनने वाले जवानों का जीवन इसकी मजबूती पर टिका होता है। इसलिए इसके चुनाव में अधिकारियों को पूरी पारदर्शिता बरतनी चाहिए। सूत्रों का कहना है कि परीक्षण के दौरान सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों और रक्षा विशेषज्ञों की मौजूदगी में ये परीक्षण होने चाहिए ताकि जवानों को श्रेष्ठ उपलब्ध बुलेटप्रूफ जैकेट मुहैया हो सके।

देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद से लड़ रहे थलसेना के जवानों के लिए भी भारी संख्या में मौजूदा जैकेटों से मजबूत और हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने की प्रक्रिया शुरू होगी। यदि डीआरडीओ ने किसी घटिया बुलेटप्रूफ जैकेट को मंजूरी दे दी तो इसे भविष्य में भी ऑर्डर मिलते रहेंगे जिससे जवानों को जिंदगी खतरे में पड़ सकती है।
 
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