दवा करेगी जेब हल्की

सरकार इन दिनों भारत में एंटीबायोटिक बनाने में इस्तेमाल होने वाले चीन और मैक्सिको से आयातित दो अहम इंग्रेडिएंट पेनिसिलिन-जी और 6-एपीए
पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने पर विचार कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय के एक हालिया प्रस्ताव में यह सिफारिश की गई है।

दवा कंपनियों का कहना है कि इस कदम से मॉक्स, ऑगमेंटिन, जिफी, मॉक्सिकाइंड, टैक्सिम और स्पोरिडेक्स जैसे आम एंटीबायोटिक ब्रांड के खुदरा दाम 50 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। इनमें से कई एंटीबायोटिक का देश में काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है और ये अपनी-अपनी कंपनियों के जबर्दस्त बिक्री वाले ब्रांड भी हैं। भारतीय रीटेल बाजार में इनकी सामूहिक हिस्सेदारी करीब 7 फीसदी है।

वाणिज्य मंत्रालय ने चीन और मैक्सिको की कंपनियों की ओर से देश में आयात होने वाली 6-एपीए पर 16-18 डॉलर प्रति किलोग्राम से ज्यादा की एंटी डंपिंग ड्यूटी का प्रस्ताव किया है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि पेनिसिलिन-जी के लिए प्रस्तावित शुल्क 3.3-3.8 डॉलर प्रति अरब यूनिट (बीओयू) रखा गया है।

फिलहाल दवा बनाने वाली स्थानीय कंपनियां 25 डॉलर प्रति किलोग्राम और 7.5 डॉलर प्रति बीओयू पर क्रमश: 6-एपीए और पेन जी खरीदती हैं। सरकार यही इंग्रेडिएंट बनाने वाली स्थानीय दवा निर्माता कंपनियों के कारोबार को बचाने के लिए यह शुल्क लगाना चाहती है, लेकिन कई दवा कंपनियां आशंका जता रही हैं कि इस कदम के चलते इन दवाओं के दाम तो बढ़ ही सकते हैं, इनकी कमी भी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पेन जी और 6-एपीए बनाने वाली कुछ ही भारतीय कंपनियां हैं और वे मिलकर भी दवा उद्योग की कुल मांग पूरी नहीं कर सकतीं।
 
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