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राष्ट्रपति की इसी तरह की अन्य डिटेल
दर्ज होने के साथ ही देश की 15वीं जनगणना का काम शुरू हो गया। अगले छह महीने के अंदर जनगणना अधिकारी आपसे भी इसी तरह की डिटेल लेने आपके घर आएंगे। जनगणना के साथ इस बार नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (एनपीआर) भी बनाया जाएगा। इसके लिए आपको अपनी और अपनी फैमिली के बारे में पहले से कहीं ज्यादा डिटेल देनी होंगी। इसके आधार पर आपको एक यूनीक आईडी कार्ड दिया जाएगा। यह आपकी भारतीयता तो प्रमाणित करेगा ही, आप कई तरह की सरकारी और गैर सरकारी सेवाओं का लाभ भी इससे उठा सकेंगे।
पहला चरण (जनगणना):
इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच घरों की जनगणना होगी। इस दौरान जनगणना अधिकारी आपके घर आकर उनका नाम, जन्मतिथि, लिंग, वर्तमान पता, स्थायी पता, शिक्षा और माता, पिता, बीबी, बच्चों आदि के नाम की डिटेल लेंगे। घर कैसा है, बिजली-पानी है या नहीं, यह भी पूछा जाएगा। इसके बाद आपको एक एकनॉलिजमेंट स्लिप दी जाएगी। सभी लोगों का डेटा जुटाकर उन्हें स्थानीय भाषा और इंग्लिश में कंप्यूटरों में दर्ज किया जाएगा। इसके लिए देश भर में 15 डेटा प्रोसेसिंग सेंटर बनाए गए हैं। यहां आईसीआर (इंटेलिजेंट कैरेक्टर रिकॉग्निशन) सॉफ्टवेयर के जरिए डेटा प्रोसेस किया जाएगा। फाइनल लिस्टिंग से पहले यह डिटेल्स किसी को नहीं दी जाएंगी। यहां तक कि अदालतों में भी इन्हें तलब नहीं किया जा सकेगा।
दूसरा चरण (एनपीआर) :
अगले साल 9 से 28 फरवरी के बीच चलेगा। इस दौरान 15 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के फोटो, दसों उंगलियों के फिंगरप्रिंट जैसे बायोमीट्रिक डेटा लिए जाएंगे। यह पूछा जाएगा कि मोबाइल फोन, इंटरनेट और कंप्यूटर इस्तेमाल करते हैं या नहीं। यह काम हर गांव और शहरों में हर वॉर्ड में कैंप लगाकर किया जाएगा। आपको एकनॉलिजमेंट स्लिप लेकर जाना होगा और डिटेल्स दर्ज करानी होंगी। इन कैंपों में शामिल न हो पाने वाले लोग तहसील या टाउन लेवल पर बने परमानेंट एनपीआर सेंटरों में जाकर जानकारी दे सकेंगे। इस डेटा की प्रोसेसिंग के बाद उस पर आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे, फिर आवश्यक संशोधन के बाद इस लिस्ट को यूनीक आइडेंटिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दे दिया जाएगा। यहां डुप्लिकेट एंट्री को छांटने के बाद 16 डिजिट का यूआईडी नंबर इशू किए जाएंगे।
2209 करोड़ रुपये खर्च होंगे जनगणना पर
3540 करोड़ रुपये खर्च होंगे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर
25 लाख से ज्यादा अधिकारी इस काम में जुटेंगे
2011 के मध्य में जनगणना का रिजल्ट प्रकाशित होगा
35 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के 640 जिलों, 5767 तहसीलों, 7742 कस्बों और 6 लाख से ज्यादा गांवों में आबादी की डिटेल ली जाएगी।
64 करोड़ जनगणना फॉर्म और 50 लाख इंस्ट्रक्शन मैन्युअल छापने के लिए 12,000 टन कागज की जरूरत होगी। ये फॉर्म 16 भाषाओं में मैन्युअल 18 भाषाओं में प्रिंट किए जाएंगे।
दर्ज होने के साथ ही देश की 15वीं जनगणना का काम शुरू हो गया। अगले छह महीने के अंदर जनगणना अधिकारी आपसे भी इसी तरह की डिटेल लेने आपके घर आएंगे। जनगणना के साथ इस बार नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (एनपीआर) भी बनाया जाएगा। इसके लिए आपको अपनी और अपनी फैमिली के बारे में पहले से कहीं ज्यादा डिटेल देनी होंगी। इसके आधार पर आपको एक यूनीक आईडी कार्ड दिया जाएगा। यह आपकी भारतीयता तो प्रमाणित करेगा ही, आप कई तरह की सरकारी और गैर सरकारी सेवाओं का लाभ भी इससे उठा सकेंगे।
पहला चरण (जनगणना):
इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच घरों की जनगणना होगी। इस दौरान जनगणना अधिकारी आपके घर आकर उनका नाम, जन्मतिथि, लिंग, वर्तमान पता, स्थायी पता, शिक्षा और माता, पिता, बीबी, बच्चों आदि के नाम की डिटेल लेंगे। घर कैसा है, बिजली-पानी है या नहीं, यह भी पूछा जाएगा। इसके बाद आपको एक एकनॉलिजमेंट स्लिप दी जाएगी। सभी लोगों का डेटा जुटाकर उन्हें स्थानीय भाषा और इंग्लिश में कंप्यूटरों में दर्ज किया जाएगा। इसके लिए देश भर में 15 डेटा प्रोसेसिंग सेंटर बनाए गए हैं। यहां आईसीआर (इंटेलिजेंट कैरेक्टर रिकॉग्निशन) सॉफ्टवेयर के जरिए डेटा प्रोसेस किया जाएगा। फाइनल लिस्टिंग से पहले यह डिटेल्स किसी को नहीं दी जाएंगी। यहां तक कि अदालतों में भी इन्हें तलब नहीं किया जा सकेगा।
दूसरा चरण (एनपीआर) :
अगले साल 9 से 28 फरवरी के बीच चलेगा। इस दौरान 15 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के फोटो, दसों उंगलियों के फिंगरप्रिंट जैसे बायोमीट्रिक डेटा लिए जाएंगे। यह पूछा जाएगा कि मोबाइल फोन, इंटरनेट और कंप्यूटर इस्तेमाल करते हैं या नहीं। यह काम हर गांव और शहरों में हर वॉर्ड में कैंप लगाकर किया जाएगा। आपको एकनॉलिजमेंट स्लिप लेकर जाना होगा और डिटेल्स दर्ज करानी होंगी। इन कैंपों में शामिल न हो पाने वाले लोग तहसील या टाउन लेवल पर बने परमानेंट एनपीआर सेंटरों में जाकर जानकारी दे सकेंगे। इस डेटा की प्रोसेसिंग के बाद उस पर आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे, फिर आवश्यक संशोधन के बाद इस लिस्ट को यूनीक आइडेंटिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दे दिया जाएगा। यहां डुप्लिकेट एंट्री को छांटने के बाद 16 डिजिट का यूआईडी नंबर इशू किए जाएंगे।
2209 करोड़ रुपये खर्च होंगे जनगणना पर
3540 करोड़ रुपये खर्च होंगे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर
25 लाख से ज्यादा अधिकारी इस काम में जुटेंगे
2011 के मध्य में जनगणना का रिजल्ट प्रकाशित होगा
35 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के 640 जिलों, 5767 तहसीलों, 7742 कस्बों और 6 लाख से ज्यादा गांवों में आबादी की डिटेल ली जाएगी।
64 करोड़ जनगणना फॉर्म और 50 लाख इंस्ट्रक्शन मैन्युअल छापने के लिए 12,000 टन कागज की जरूरत होगी। ये फॉर्म 16 भाषाओं में मैन्युअल 18 भाषाओं में प्रिंट किए जाएंगे।