नौकरी ढूंढ़ना हुआ आसान, नया एम्पलायमेंट ए&#232

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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने उद्योगों के लिए एम्*पलायमेंट एक्सचेंज शुरू कर ब्लू कॉलर रोजगार चाहने वालों और उद्योगों के बीच अंतर पाटने की एक नई पहल की है। यह विशेष रूप से सूक्ष्*म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए वरदान साबित हो सकता है। यह एम्*पलायमेंट एक्सचैंज एक ऑनलाइन वेब पोर्टल Employment Exchange for Industries है, जिसका उपयोग रोजगार चाहने वाले किसी व्यक्ति या उद्योग द्वारा आसानी से इंटरनेट के माध्*यम से किया जा सकता है।

इसमें रोजगार के इच्छुक व्यक्ति को फोटो और जरूरी कागजात के साथ अपना रिज्यूम अपलोड करना होगा, ताकि उद्योग उन तक पहुंच सके और रोजगार का प्रस्ताव देने के लिए सीधे उनसे संपर्क कर सके। साथ ही, उद्योग भी विभिन्न क्षेत्रों में कुशल लोगों की अपनी जरूरतों को इस पोर्टल पर अपलोड कर सकता है।

एक्*सचेंज बनेगा मैच-मैकिंग का प्*लेटफार्म
इस ऑनलाइन मैच मैकिंग में एक सर्च की सुविधा दी गई है, जो रोजगार के इच्छुक लोगों और उद्योगों, दोनों को एक साथ नौकरियों और कुशल लोगों की उपलब्धता की जानकारी दे सकते हैं। दूसरे शब्दों में, अगर राजकोट का कोई कारोबारी यह जानना चाहता है कि सीएनसी वायरकट में दक्ष अहमदाबाद या राजकोट के कितने लोग राजकोट या नजदीकी इलाकों में नौकरी तलाश कर रहे हैं, तो वह आसानी से इसे सर्च कर सकता है और उन लोगों से संपर्क कर सकता है। इसी प्रकार, शिप वेल्डिंग में आईटीआई से प्रशिक्षण प्राप्त भुवनेश्वर का रहने वाला कोई व्यक्ति विशाखापट्टनम में विशेष रूप से जहाज निर्माण उद्योगों में उपलब्ध नौकरियों के बारे में इस पोर्टल पर जानकारी प्राप्त कर सकता है और इससे इस मंच को यह लाभ मिलता है कि यह रोजगार बाजार में दो-तरफा सूचना प्रवाह का जरिया बन जाता है।

कुशल लोगों को मिलेगी घर के पास नौकरी
समय पर कुशल और उद्योगों की जरूरतों के मुताबिक प्रशिक्षित लोगों की लंबे समय से उद्योग जगत को जरूरत रही है और वे इसकी मांग भी करते रहे हैं। अधिकांश मामलों में उद्योग उसी क्षेत्र के रहने वाले ऐसे प्रशिक्षित लोगों की तलाश करते हैं जिनके प्रशिक्षण पर उन्*हें समय और पैसे खर्च नहीं करने पड़े। इससे लोगों के कंपनी छोड़कर जाने या छंटनी (एट्रिशन) की संभावना भी काफी कम हो जाती है। हालांकि, व्*हाइट कॉलर रोजगार के इच्छुक लोगों के लिए नौकरी.कॉम और मॉन्स्टर.कॉम जैसे बहुत से वेब पोर्टल हैं, मगर दक्ष कामगारों और ब्*लू कॉलर रोजगार चाहने वालों के लिए अभी तक कोई वेब पोर्टल नहीं था। इस कमी की भरपाई इस एक्*सचैंज ने की है। आज भी किसी औद्योगिक क्षेत्र में, जहां सूक्ष्*म, लघु एवं मध्यम उद्यम स्थापित होते हैं, वहां आसानी से ‘सीएनसी ऑपरेटर चाहिए’ या ‘इलेक्ट्रिशियन चाहिए’ जैसे बोर्ड देखे जा सकते हैं। इसलिए मंत्रालय का समय पर यह कदम उद्योगों और सूक्ष्*म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए बहुत मददगार सिद्ध होगा।

‘मेक इन इंडिया’ को इससे मिलेगी रफ्तार
सरकार की यह पहल सूक्ष्*म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय का यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलाए जा रहे ‘मेक इन इंडिया’ और स्किल इंडिया अभियानों के बीच तालमेल स्*थापित करने का काम भी करती है। यह एम्लायमेंट एक्*सचेंज स्किल इंडिया के माध्यम से मेक इन इंडिया रणनीति के साथ मैन्*युफैक्चरिंग और स्किलिंग को भी जोड़ता है। ऐसे में उम्*मीद की जा सकती है कि यह देश में मैन्*युफैक्चरिंग के लिए एक सफल ‘इकोसिस्टम’ बनाने में मदद करेगा।

कंपनी छोड़ने व छंटनी रोकने में होगा मददगार
भारत जैसे देश जो बेहतर विनिर्माण दर प्राप्*त करने के लिए प्रयासरत है और अपने-आप को दुनिया में विनिर्माण केंद्र के रूप में स्*थापित करना चाहता है। इसके लिए उद्योगों में विशेष रूप से सूक्ष्*म, लघु एवं मध्*यम उद्यमों में मजदूरों की छंटनी (एट्रिशन) को कम करने के क्षेत्र में काम करने की भी आवश्*यकता है। दुर्भाग्*यवश विभिन्*न क्षेत्रों या विभिन्*न क्*लस्*टरों में विशेष रूप से सूक्ष्*म, लघु एवं मध्*यम उद्यमों में छंटनी (एट्रिशन) की दर के बारे में ज्*यादा आंकड़ें उपलब्*ध नहीं हैं। आमतौर पर यह समझा जाता है कि दुनिया के अन्*य देशों की तुलना में भारत में छंटनी (एट्रिशन) की दर काफी अधिक है।

सूक्ष्*म, लघु एवं मध्*यम उद्यम में यह समस्*या अधिक गंभीर है और कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में कहीं-कहीं तो यह 30-40 प्रतिशत वार्षिक तक हो जाती है। सूक्ष्*म, लघु एवं मध्*यम उद्यमों में मजदूरों की छंटनी (एट्रिशन) का एक प्रमुख कारण मजदूरों का देश के एक भाग से दूसरे भाग में पलायन (माइग्रेशन) है। इसके बावजूद, अगर हम अतीत में विभिन्*न राज्*यों में औद्योगिक विकास को देखें तो कुशल कामगारों के लिए अवसर बढ़ रहे हैं। वे बड़े शहरों में प्रवास करने और विभिन्*न सामाजिक और स्*वास्*थ्*य संबंधी जोखिमों के साथ महंगा जीवन जीने की बजाए अपने गृह राज्*य में उपयुक्*त रोजगार प्राप्*त कर सकते हैं। और उम्*मीद है कि उद्योग के लिए एम्*प्*लायमेंट एक्*सचैंज की यह प्रणाली भारत में रोजगार ढूंढने वाले लाखों युवकों के लिए प्रथम सोपान का काम कर सकती है।

इसलिए यह स्*पष्*ट है कि रोजगार ढूंढने वालों और उद्योगों दोनों का मेल कराने का यह सिस्*टम आरंभ करने की सूक्ष्*म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय की पहल से सभी पक्षों को लाभ होगा और इससे उन्*हें बेहतर विनिर्माण विकास दर प्राप्त करने और वैश्*विक बाजार में अधिक प्रतिस्*पर्द्धी बनने में मदद मिलेगी।
उद्योगों को मिलेगा बूस्ट

यहां इस बात का उल्*लेख करना भी महत्*वपूर्ण है कि मेक इन इंडिया तब तक संभव नहीं है, जब तक कि सूक्ष्*म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को कुशल मानवशक्*ति, नई प्रौद्योगिकियों और गुणवत्*ता प्रदान कर उनकी क्षमताओं के विस्*तार पर उचित ध्*यान नहीं दिया जाता है। और यह काम तब संभव होगा, जब उद्योग और मानवशक्ति दोनों अपनी जरूरतें समझेंगे। इस तरह यह एक्*सचेंज गुणवत्*ता के लिए एक तरह की प्रेरणा का भी काम करेगा।
इस मामले में एक तरह से यद्यपि उद्योगों को कुशल मानवशक्*ति प्रदान करने के लिए कई एजेंसियां और प्रशिक्षण संस्*थान देश में काम कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्*यवश उनमें उद्योगों की आवश्*यकताओं के अनुरूप स्*तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने और स्*किल मैपिंग- दोनों क्षेत्रों में समन्*वय की कमी है। राष्*ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) जो वर्तमान में कौशल और उद्यमिता मंत्रालय के अधीन है, को कौशल विकास के लिए विशेष रूप से बनाया गया है और यह लंबे समय से इस दिशा में कार्य कर रहा है।

अब उद्योग के लिए ऑनलाइन एम्*प्*लायमेंट एक्*सचेंज आरंभ होने के बाद सभी प्रशिक्षण संस्*थान विशेष रूप से जो एनएसडीसी के सहयोग से काम कर रहे हैं, कुशल लोगों के रीज्*यूमे को इस वेब प्*लेटफार्म पर अपलोड कर सकते हैं। यह वेब प्*लेटफार्म उन्*हें न केवल उपयुक्*त रोजगार प्राप्*त करने का अवसर प्रदान कर सकता है, बल्*कि विशिष्*ट क्षेत्र में देश में उपलब्*ध कुशल मानवशक्*ति के डाटा के संग्राहक का भी काम कर सकता है।
 
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