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विदेश सचिव स्तर की वार्ता शुरू होने के मौके पर भारत ने फिर से आतंकवाद के मसले पर पुराने रुख प
र लौटते हुए पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि उसके साथ सार्थक रिश्तों की तलाश तभी शुरू कर सकता है जब वह आतंकवाद के खतरों को दूर करने के लिए गंभीर कदम उठाए और अपनी धरती से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाए।
संसद के बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अभिभाषण के जरिए भारत ने अपने इस सख्त रुख से पाकिस्तान को अवगत कराया और पाकिस्तान के विदेश सचिव की यहां 25 फरवरी को होने वाली वार्ता के पहले अपने कड़े तेवर का फिर इजहार किया है। राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को यह भी ध्यान दिलाया कि जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ बढ़ी है और भारत आतंकवाद द्वारा पेश सभी चुनौतियों का मुकाबला करने को तैयार है। आतंकवाद को लेकर हमारी शून्य सहनशीलता की मुख्य नीति है और हमें विश्वव्यापी आतंकवादी संगठनों पर हमेशा नजर रखनी होगी और इनसे निपटने के लिए नए तरीके खोजने होंगे।
25 फरवरी की वार्ता के सिलसिले में पाकिस्तान ने आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को कोई जवाब नहीं दिया है और बदले में जम्मू-कश्मीर और जल विवाद के मसले को उठा कर आतंकवाद के मसले को उलझाने की कोशिश की है। राष्ट्रपति पाटिल ने संसद को अपने लंबे संबोधन में भारत की विदेश नीति के कई पहलुओं को छुआ लेकिन केवल एक वाक्य में पाकिस्तान को यह सार्थक संदेश दिया कि उसे आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को दूर करना होगा।
पाकिस्तान को यह कड़ा संदेश देने के साथ ही यह भी कहा कि भारत अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण जारी रखेगा। उन्होंने साढ़े तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार करने वाली अग्नि-3 मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों को बधाई भी दी। इस बातचीत के पहले दोनों पक्ष अपना कड़ा रवैया दिखा रहे हैं। इसलिए इस बातचीत में कोई साझा बयान यदि जारी हुआ तो यही कहा जाएगा कि रचनात्मक और सौहार्दपूर्ण माहौल में दो टूक वार्ता हुई। पाकिस्तान को बातचीत के लिए निमंत्रित करने के बाद पाकिस्तान ने कहा कि दोनों देशों के बीच समग्र बातचीत का दौर फिर शुरू होना चाहिए। लेकिन अब पुराने रुख पर लौटते हुए भारत ने इस पर तब तक विचार करने से इनकार कर दिया है जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को दूर नहीं करता है।
र लौटते हुए पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि उसके साथ सार्थक रिश्तों की तलाश तभी शुरू कर सकता है जब वह आतंकवाद के खतरों को दूर करने के लिए गंभीर कदम उठाए और अपनी धरती से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाए।
संसद के बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अभिभाषण के जरिए भारत ने अपने इस सख्त रुख से पाकिस्तान को अवगत कराया और पाकिस्तान के विदेश सचिव की यहां 25 फरवरी को होने वाली वार्ता के पहले अपने कड़े तेवर का फिर इजहार किया है। राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को यह भी ध्यान दिलाया कि जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ बढ़ी है और भारत आतंकवाद द्वारा पेश सभी चुनौतियों का मुकाबला करने को तैयार है। आतंकवाद को लेकर हमारी शून्य सहनशीलता की मुख्य नीति है और हमें विश्वव्यापी आतंकवादी संगठनों पर हमेशा नजर रखनी होगी और इनसे निपटने के लिए नए तरीके खोजने होंगे।
25 फरवरी की वार्ता के सिलसिले में पाकिस्तान ने आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को कोई जवाब नहीं दिया है और बदले में जम्मू-कश्मीर और जल विवाद के मसले को उठा कर आतंकवाद के मसले को उलझाने की कोशिश की है। राष्ट्रपति पाटिल ने संसद को अपने लंबे संबोधन में भारत की विदेश नीति के कई पहलुओं को छुआ लेकिन केवल एक वाक्य में पाकिस्तान को यह सार्थक संदेश दिया कि उसे आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को दूर करना होगा।
पाकिस्तान को यह कड़ा संदेश देने के साथ ही यह भी कहा कि भारत अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण जारी रखेगा। उन्होंने साढ़े तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार करने वाली अग्नि-3 मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों को बधाई भी दी। इस बातचीत के पहले दोनों पक्ष अपना कड़ा रवैया दिखा रहे हैं। इसलिए इस बातचीत में कोई साझा बयान यदि जारी हुआ तो यही कहा जाएगा कि रचनात्मक और सौहार्दपूर्ण माहौल में दो टूक वार्ता हुई। पाकिस्तान को बातचीत के लिए निमंत्रित करने के बाद पाकिस्तान ने कहा कि दोनों देशों के बीच समग्र बातचीत का दौर फिर शुरू होना चाहिए। लेकिन अब पुराने रुख पर लौटते हुए भारत ने इस पर तब तक विचार करने से इनकार कर दिया है जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को दूर नहीं करता है।