Punjab News अब नहीं बच पाएंगे अपराधी

अपराधियों के लिए अब पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों से बचना मुश्किल हो जाएगा। कश्मीर का वांछित अब चाहे कन्याकुमारी में छुप जाए उसे पुलिस व एजेंसियां ढूंढ़ निकालेंगी।

यही नहीं अपराधियों के अदालत में चल रहे केसों का रिकार्ड भी अब आन लाइन हो जाएगा। गृह मंत्रालय द्वारा इंफारमेशन टैक्नोलॉजी (आईटी) की मुख्य कंपनियों और एनसीआरबी (नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) की मदद से क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नैटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) तैयार किया जा रहा है। इसके लिए दो हजार करोड़ का बजट रखा गया है।

यह सिस्टम व नैटवर्क देश के 14 हजार से अधिक थानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा। इससे देश के किसी भी कोने में छुपे अपराधी को ढूंढ़ना पुलिस के लिए आसान हो जाएगा। प्रोजेक्ट को 19 जून 2009 में इकोनामिक अफेयर की कैबिनेट कमेटी ने मंजूरी दी थी, जिस पर देशभर के राज्यों की पुलिस व साफ्टवेयर इंजीनियर काम कर रहे हैं।

सीसीटीएनएस सिस्टम और नैटवर्क के तहत डीजीपी, एडीजीपी, सीपी, एडीसीपी और एसीपी जैसे 6 हजार पुलिस अधिकारी काम करेंगे। यही नहीं सिस्टम के लागू होने पर इसके नैटवर्क के साथ फारेंसिक अधिकारी और एजेंसी के अधिकारी भी जुड़ेंगे। प्रोजेक्ट के पूरा होने में 2012 तक का अनुमानित समय लग सकता है। पंजाब में इस सिस्टम की देखरेख का जिम्मा एडीजीपी सी एंड टी को दिया गया है। उन्हें प्रोजेक्ट का नोडल अधिकारी बनाया गया है। वहीं पंजाब पुलिस हाउस कारपोरेशन को इसकी डिजाइनिंग का जिम्मा दिया गया है।

सीसीटीएनएस का उदेश्य

प्रोजैक्ट का काम पारदर्शी होगा, ताकि लोगों को इसके कार्यो का पता चल सके।
किसी आपराधिक मामले की जांच कर रहे अधिकारी को ऐसी टैक्नोलाजी व जांच से संबंधित उपकरण मुहैया करवाएगा, जिससे उसे जांच में या अपराधी तक पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा।
पुलिस की कार्यप्रणाली को सुधारने, ट्रैफिक व्यवस्था और कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी यह मदद करेगा।
इससे देश के किसी भी पुलिस स्टेशन, जिले या राज्य के पुलिस हैडक्वार्टर और एजेंसी से किसी भी तरह की जानकारी लेने में सहायता मिलेगी।
पुलिस फोर्स को व्यवस्थित करने में भी उच्चाधिकारियों की मदद करेगा।
अदालतों में पैंडिग मामलों का पूरा रिकार्ड रखने में मदद करेगा।
किताबी रिकार्ड खत्म कर उसे कंप्यूटराइज्ड रिकार्ड रखने में मदद करेगा।
 
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